
नमो ड्रोन दीदी योजना से बनासकांठा की ग्रामीण महिलाओं को मिले नए पंख
बनासकांठा। केंद्र सरकार की महिला-केंद्रित कल्याणकारी योजनाएं ग्रामीण महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बना रही हैं। इसी कड़ी में नमो ड्रोन दीदी योजना जमीनी स्तर पर बदलाव की एक मजबूत मिसाल बनकर उभरी है। गुजरात के बनासकांठा जिले में यह योजना महिलाओं को पारंपरिक सीमाओं से बाहर निकालकर तकनीक आधारित आजीविका से जोड़ रही है।
इसका जीवंत उदाहरण डीसा तालुका के तलेपुरा गांव की निवासी आशा चौधरी हैं, जिन्होंने प्रशिक्षण और अवसर का लाभ उठाकर टिकाऊ स्वरोजगार की राह बनाई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार का यह विश्वास है कि सशक्त महिला न केवल अपने जीवन को, बल्कि परिवार, समाज और राष्ट्र को भी मजबूत बनाती है। इसी सोच के तहत महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं, जिनमें नमो ड्रोन दीदी योजना प्रमुख है।
योजना के तहत प्रशिक्षण पूरा करने के बाद आशा चौधरी को केंद्र सरकार द्वारा 17 लाख रुपये मूल्य की ड्रोन किट प्रदान की गई। आधुनिक तकनीक और व्यावहारिक प्रशिक्षण से लैस होकर उन्होंने ड्रोन आधारित कृषि सेवाएं शुरू कीं, जो ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार का एक नया और आधुनिक माध्यम है।
आज आशा न केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हैं, बल्कि अपने परिवार की मजबूत सहारा भी बन चुकी हैं। अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि इस योजना ने उन्हें सिर्फ कौशल ही नहीं, बल्कि आत्मविश्वास भी दिया, जिससे वे पारंपरिक सीमाओं से आगे का भविष्य देख सकीं। उनकी सफलता से गांव की अन्य महिलाएं भी प्रेरित हुई हैं और नई संभावनाओं की ओर कदम बढ़ाने लगी हैं।
गुजरात के दूरदराज के गांवों तक सरकारी योजनाओं की पहुंच लगातार बढ़ रही है, जिससे ग्रामीण महिलाएं विकास की मुख्यधारा से जुड़ रही हैं।
आशा चौधरी जैसी कहानियां यह दर्शाती हैं कि लक्षित नीतिगत हस्तक्षेप किस तरह जमीनी स्तर पर वास्तविक बदलाव ला सकते हैं।
तकनीक, प्रशिक्षण और वित्तीय सहयोग के साथ महिलाएं आत्मनिर्भर और विकसित भारत की नींव रख रही हैं। बनासकांठा में नमो ड्रोन दीदी योजना की सफलता अटल नेतृत्व, निर्बाध विकास की भावना को साकार करती है, जहां सशक्त महिलाएं समावेशी विकास की नई ताकत बन रही हैं। -आईएएनएस
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