क्या हैं शादी की पाठशाला

क्या हैं शादी की पाठशाला

पहचान बनानी हैं
शादी के बाद यदि घरेलू महिला के रूप में रहना पडे, तो उनमें कुंठा आ जाती है, क्योंकि वे पढी-लिखी हैं। यदि वे अपनी रुचियों को बढाएं, तो पहचान खुदबखुद बन जाएगी। ऐसा नहीं है कि बहू सिर्फ परिवार का हिस्साभर है, बल्कि उसकी अपनी जिंदगी भी है। इस बात को वे किस तरह से रखती हैं, वह बहुत मायने रखता है। मसलन बोलने का लहजा क्या है?
विनम्रता से बात कर रही हैं या ताने मार रही हैं। ठीक है कि उनकी अपनी रुचियां हैं, लेकिन नए परिवार का हिस्सा कैसे बन सकती हैं, इसके लिए भी प्रयासरत रहें। यदि वे आपसे खुश रहेंगे, तो आपका साथ देंगे। यदि वे खुश नहीं रहेंगे, तो सोचेंगे कि यह हर समय अपने ही बारे में सोचती है और खुद में कोई बदलाव नहीं लाती है। माहौल की भिन्नता के कारण पति-पत्नी में मेलमिलाप नहीं हो पा रहा है। वहां बडों की इज्जत करना व नैतिक मूल्य बहुत महत्व रखते हैं। वहीं पति एकदम मॉर्डन है और वो चाहता है कि उसकी वाइफ स्मार्ट हो। पत्नि अपना घर संभालना चाहती है, हाउसवाइफ की तरह रहना चाहती है। यहां पत्नी के लिए जरूरी है कि वह थोडा स्मार्ट हो और खुद को प्रजेंटेबल बनाए। पति के लिए समझना जरूरी है कि जो महिलाएं बहुत आजादी चाहती हैं, उनके साथ ज्यादा दिक्कत आ सकती है। दोनों समझें कि दोनों अलग परिवारों से, अलग माहौल और अलग मिजाजवाले लोगों के बीच से आए हैं। जब तक एक-दूसरे के परिवारों की पृष्ठभूमि नहीं समझेंगे, तब तक दूसरे के माहौल में रचबस नहीं पाएंगे, क्योंकि हर कोई अपने में बदलाव लाने का कारण जानना चाहता है।

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