समय के साथ बदलते नियम
पहले के समय में हमारी सोच का दायरा बहुत संकुचित था। परिवार के नियमों का पालन सिर्फ इसलिए करते आ रहे थे क्योंकि हमारे बडे बुजुर्ग को करते देखते थे और वही वह अपने छोटो से करवाते थे। परेंटिंग के मामले में पहले तयशुदा फॉम्र्युला यह था कि केवल डर दिखाकर ही बच्चो को अनुशासित किया जा सकता है, पर अब वक्त के साथ लोगों को इस तरीके में बदलाव लाने की जरूरत महसूस हुई । वे ऎसी प्रॉब्लम्स पर खुल कर बातचीत करने लगे। इस तरह लोगों ने थोडा उदार रवैया अपनाना शुरू कर दिया।