माहे-ए-रमजान:इबादत और नेकियों का महीना

माहे-ए-रमजान:इबादत और नेकियों का महीना

अगर इस महीने में हम अपनी जरूरतों और ख्वाहिशों को कुछ कम कर लें औरयही रकम जरूरतमंदों को दें तो यह हमारे लिए बेहत अज्र और सिले का बाइस होगा। क्योंकि इस महीने मेंक की गई नेकी का अज्र कई गुना बढाकर अल्लाह की तरफ से अता होता है।