माहे-ए-रमजान:इबादत और नेकियों का महीना
मोहम्मद सल्ल ने फरमाया है जो शख्स नमाज के रोजे ईमान और एहतेसाब अपने जायजे के साथ रखे उसके सब पिछले गुनाह माफ कर दिए जाएंगे। रोजा हमें जब्ते नफ्स खुद पर काबू रखने की तरबियत देना है। हममें परहेजगारी पैदा करता है। लेकिन अब जैसे ही माहे रमजान अपने वाला होता है, लोगों के जहन में तरह-तरह के चटपटे और मजेदार खाने का तसव्वुर आ जाता है।