माहे-ए-रमजान:इबादत और नेकियों का महीना

माहे-ए-रमजान:इबादत और नेकियों का महीना

खासतौर से हमारी बहनें ईद की शॉपिंग का जायला लें कि वह अपने लिबास पर कितना कुछ खर्च करती हैं। जरा रूक कर सोचें हममें से कई जरूरतमंद लोग दुनिया में मौजूद हैं जिनके पास तन ढंकने के लिए कपडा मौजूद नहीं।