गुलजार की हसीना नज्में पेश हैं...

गुलजार की हसीना नज्में पेश हैं...

तुम्हारे गम की डली उठा कर जुबान पर रख ली हैं मैंने वह कतरा-कतरा ही जी रहा हूं पिघल पिघल कर गले से उतरेगी, आखरी बूंद दर्द की जब मैं सांस की आखरी गिरह को भी खोल दूंगा।

#घरेलू उपाय से रखें पेट साफ