गुलजार की हसीना नज्में पेश हैं...
बारिश
आती है तो पानी को भी लग जाते हैं पांव, दरो-दीवार से टकरा कर गुजरता है
गली से और उछलता है छपाकों में, किसी मैच में जीते हुए लडकों की तरह...
जीत
कर आते हैं जब मैच गली केलडके जुटे पहने हुए कैनवस के, उछलते हुए गेंदों
की तरह, दरो-दीवार से टकरा के गुजरते हैं वो पानी के छपाकों की तरह।