रोसेटा ने धूमकेतु के साथ खींची सेल्फी

रोसेटा ने धूमकेतु के साथ खींची सेल्फी

सेल्फी यानी अपने कैमरे से अपनी ही तस्वीर उतारने का चलन सिर्फ मनुष्यों तक ही सीमित नहीं रह गया बल्कि ब्रrाांड के छुपे रहस्यों क तलाश में निकले अंतरिक्ष यानों की दिलचस्पी भी अब इसमें हो गइ्र। इसका ताजा उदाहरण है यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी एएसई का रोसेटा लैंडर यान जिसने अंतरिक्ष में तेज रफ्तार से गजर रहे बर्फीले धूमकेतु-67पी चुरियूमोव गेरासीमेनक का पीछा करते हुए एक सेल्फी ली है। इसमें यान और उसके करीब मौजूद धूमकेतु दोनों की बेहद दिलचस्प तस्वीर दखिाई दे रही है।
यह सेल्पुी लेने वाला फोटोग्राफर रोसेटा यान में लगी एक छोटी अंतरिक्ष बग्घी फिलेई से जुड कैमरा है जिसने धूमकेतु के करीब आते ही फटाफट फ्लैश ऑन किया और उसके साथ अपनी तस्वीरें ले डाली और इस धरती पर भ्ज्ञेज दिया। फिलेई का कैमरा जब यह सेल्फी ले रहा था तब रोसेटा यान की धूमेतु से दूरी महज 16 मिलोमीटर थी। फिलेई 12 नवम्बर को यान से अलग होकर धूमकेतु की सतह पर उतरने वाला है। नासा के विशालकाय अंतरिक्ष दूरबीन ने एक बहुत छोटी आकाश गंगा देखी है। यह विशालकाय आवर्धक लेंस द्वारा खोजी गई अब तक की आकाश गंगाओं में सबसे ज्यादा दूरी पर है।
 इसकी दूरी 13 अरब प्रकाशवर्ष मापी गई। एक अध्ययन के मुताबिक, इस आकाश गंगा से ब्र�मांड बनने की प्र�Rयाओं और इसके इतिहास का पता चल सकता है। कैलीफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के एडी जिट्रीन के मुताबिक, यह खोज मैसिव गैलेक्सी क्लस्टर अबेल 2744 जिसे पंडोरा क्लस्टर कहते हैं, के लेंसिंग पावर के उपयोग से की गई। यह किसी भी आकाश गंगा की तीन ब़डी तस्वीरें बनाता है।
इस आकाश गंगा को मिल्की वे आकाश गंगा से 850 प्रकाश वर्ष और 500 गुना छोटा मापा गया है। जिट्रीन के मुताबिक, अपने छोटे आकार और कम वजन के कारण यह आकाश गंगा तारों के बनने की प्र�Rया में भी शामिल होती है। टीम ने रंग विश्लेषण तकनीक का प्रयोग किया और अनेक तस्वीरें निकालकर इसकी दूरी का पता लगाया। जिट्रीन ने कहा कि इस खोज से यह बात साबित होती है कि अभी भी तारामंडल में कई ऎसी आकाश गंगाएं हैं, जिनका हमें पता नहीं है। हमें उनकी खोज में प्रयासरत रहना चाहिए। इससे हमें यह पता लग सकेगा कि आकाश गंगाएं और ब्र�मांड किस तरह एक-दूसरे का साथ देते हैं।