उम्र कैद की सजा पत्नी से तलाक का आधार हो सकता है

उम्र कैद की सजा पत्नी से तलाक का आधार हो सकता है

बेंगलुरू। किसी भी शादीशुदा व्यक्ति को उम्र कैद की सजा होती है तो उसे अपनी पत्नी से भी हाथ धोना पड सकता है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि उम्र कैद की सजा तलाक का आधार हो सकता है। त्या के मामले में बेल्लारी सेंट्रल जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे व्यक्ति की अपील खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने यह फैसला सुनाया।

जस्टिस केएल मंजूनाथ ने अपने एक हालिया फैसले में कहा कि अपीलकर्ता आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। इसे परित्याग का वैध आधार माना जाएगा क्योंकि वह अपनी पत्नी के साथ नहीं रह सकता एवं उसे दांपत्य सुख नहीं दे सकता। इस मामले में शादी को बरकरार रखकर बिना किसी कसूर के पत्नी की तमाम उम्र खराब नहीं की जा सकती। हाई कोर्ट ने क्रूरता एवं परित्याग के आधार पर सजायाफ्ता व्यक्ति की पत्नी को तलाक की इजाजत देने के फैमिली कोर्ट के 18 जुलाई, 2011 के फैसले को बरकरार रखा। इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सजायाफ्ता गणेश चित्रदुर्ग के सरकारी कॉलेज में अध्यापक था। 13 साल पहले उसकी विजया के साथ शादी हुई थी।

शादी के कुछ महीने बाद विजया को पता चला कि उसके पति पर हत्या का मुकदमा चल रहा है। विजया ने अपने माता-पिता को इसकी जानकारी दी। पंचायत बैठने पर उसके ससुराल वालों ने दावा किया कि मुकदमा झूठा है, गणेश को इस मामले में गलत फंसाया गया है एवं वह बरी हो जाएगा। मामला कुछ समय के लिए ठंडा हो गया। गणेश की पत्नी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि उनके बच्चे के जन्म के बाद उसके पति का रूख बदल गया एवं वह उसके साथ दुर्व्यवहार करने लगा। नवंबर, 2000 में सत्र अदालत ने हत्या के मामले में गणेश को सात साल कैद की सजा सुनाई। राज्य सरकार की अपील पर हाई कोर्ट ने उसकी सजा उम्रकैद में तब्दील कर दी थी। इसी के बाद विजया ने फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी लगाई थी।