उरी हमला: मरने से पहले आतंकियों ने डिलीट किया जीपीएस डेटा

उरी हमला: मरने से पहले आतंकियों ने डिलीट किया जीपीएस डेटा

नई दिल्ली। भारतीय जांच एजेंसी (NIA) उरी हमले के साजिशकर्ताओं तक पहुंचने के लिए हर सबूत जुटाने की कोशिश में है, परन्तु हमलावर आतंकी बहुत शातिर और प्रशिक्षित थे। उन्होंने डिजिटल कोड्स का इस्तेमाल किया था ताकि उनकी लोकेशन को ट्रेस न किया जा सके। इतना ही नहीं उन्होंने जीपीएस से अपनी आखिरी लोकेशन भी डिलीट कर दी है। इससे एनआईए की जांच को धक्का लग सकता है। यह जानकारी न्यूज चैनल ने सूत्रों के सवाल से दी है। ऐसा माना जा रहा है कि उरी पर हमला करने वाले आतंकी तकनीक के मामले में उन आतंकियों से ज्यादा समझ रखते थे जिन्होंने पठानकोट पर हमला किया था।

खुफिया सूत्रों की मानें तो उरी पर हमला करने वाले आतंकियों का रूट मैप ट्रैक करना आसान नहीं होगा। इस बार आतंकवादियों ने डिजिटल कोड का इस्तेमाल किया था जिसे ट्रेस नहीं किया जा सकता। जांच में दूसरी सबसे बड़ी परेशानी यह सामने आ रही है कि अब तक जो भी जीपीएस रिकवर किए गए हैं, उन्हें देख कर पता लगता है कि आखिरी लोकेशन को डिलीट किया गया है। आईकॉम सेटेलाइट फोन जापान में बनते हैं। इनका इस्तेमाल अकसर आतंकवादी करते हैं। सूत्रों की मानें तो इसको इस्तेमाल करने के लिए काफी ट्रेनिंग की जरूरत पड़ती है। सूत्रों के मुताबिक, इस तरह के सेटेलाइट फोन का इस्तेमाल पाकिस्तानी सेना की मदद के बिना संभव नहीं है।