"ब्रिक्स बैंक के लिए नकदी नहीं, सहमति की समस्या"

जोहान्सबर्ग। विशेषज्ञों का मानना है कि ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) का अपना एक विकास बैंक बहुत उपयोगी होगा, खासतौर से अफ्रीका के लिए, लेकिन सदस्य देशों के हितों के बीच सामंजस्य बनाने की चुनौती इस रास्ते में एक बडा रोडा बन सकती है। बाजार अनुसंधान कम्पनी, फ्रंटियर एडवायजरी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, मार्टिन डेवीस ने कहा, "ब्रिक्स समूह के अंदर की सरकारें सहयोग के जिन ठोस क्षेत्रों की तलाश कर रही हैं, उनमें से एक क्षेत्र यह है इस समूह का अपना एक विकास बैंक हो। ब्रिक्स बैंक का विचार एक बहुत ही अच्छा उद्यम है।" डेवीस ने अपनी कम्पनी द्वारा जोहान्सबर्ग स्टॉक एक्सचेंज के साथ आयोजित एक संगोष्ठी में कहा, "यह बहुत लाभकारी होगा, खासतौर से उपसहारा अफ्रीका के लिए।" यह मुद्दा दिल्ली में बुधवार से शुरू हो रहे दो दिवसीय ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के एजेंडे में शामिल है। डेवीस ने कहा कि ब्रिक्स बैंक की स्थापना में मुख्य चुनौती जोखिम प्रबंधन और सदस्य देशों के सम्बंधित हित के साथ तालमेल की होगी। उन्होंने कहा, "इसके लिए नकदी की कोई समस्या नहीं होगी।" भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अफ्रीका प्रमुख मथाई वैद्यन ने कहा कि यह विचार अच्छा है, लेकिन इस पर सहमति बना पाना बहुत कठिन होगा। मंगलवार को आयोजित संगोष्ठी में ब्रिक्स देशों के वरिष्ठ बैंकरों और व्यापारिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। सम्मेलन का विषय था- उभरते बाजारों की वाणिज्यिक रणनीति और अफ्रीका में नई उभरती बहुराष्ट्रीय कम्पनियां।