तीन तलाक पर अध्यादेश मंजूर

तीन तलाक पर अध्यादेश मंजूर

नई दिल्ली। पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को तीन तलाक को एक आपराधिक कृत्य के दायरे में लाने वाले अध्यादेश को मंजूरी दे दी।

सरकार ने कहा कि ऐसा करना ‘अनिवार्य आवश्यकता’ और ‘अत्यधिक जरूरी’ था।

केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद इस मामले में अध्यादेश लाने की जरूरत पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘‘सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित करने और लोकसभा द्वारा विधेयक पारित करने के बाद भी त्वरित तीन तलाक अभी भी ‘लगातार जारी’ है। राज्यसभा में यह विधेयक लंबित है।’’

उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि इसने ‘वोट बैंक की राजनीति’ की वजह से राज्यसभा में विधेयक का समर्थन नहीं किया।

प्रसाद ने कहा कि यह मामला महिलाओं के सम्मान से जुड़ा हुआ है न कि धर्म से।

उन्होंने कहा, ‘‘तीन तलाक के मुद्दे का धर्म, पूजा के तरीके से कुछ लेना-देना नहीं है। यह पूरी तरह से लैंगिक न्याय व लैंगिक समानता से जुड़ा हुआ है।’’

उन्होंने कहा कि तीन तलाक आज भी रोटी जलने या पत्नी के देर से उठने के बेवजह आधार पर दिए जा रहे हैं

उन्होंने जनवरी 2017 से सितंबर 2018 के बीच विभिन्न राज्यों के तीन तलाक मामले के आंकड़ों को सामने रखा। इस दौरान कुल 430 मामले सामने आए, जिसमें सर्वोच्च न्यायलय के आदेश से पहले 229 व आदेश के बाद 201 मामले सामने आए।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा बिना रिपोर्ट किए अन्य मामले भी होंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘सबसे खराब बात है कि तीन तलाक के मामले लगातार समाने आ रहे हैं। जो भी हमें पता चला है वह चौंकाने वाला है।’’

प्रसाद ने कहा कि कई इस्लामिक देशों ने इसपर प्रतिबंध लगा दिया है लेकिन भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में यह अभी भी जारी है।

उन्होंने कहा कि इसके अंतर्गत अगर महिला या महिला का करीबी रिश्तेदार एफआईआर दर्ज कराता है तो अपराध संज्ञेय बन जाएगा। महिला की पहल और संबंधित मजिस्ट्रेट द्वारा उचित स्थिति को देखने के बाद सहमति पर पहुंचा जा सकता है।

प्रसाद ने यह भी कहा कि एफआईआर दर्ज कराने वाली महिला को सुनने के बाद मजिस्ट्रेट जमानत दे सकता है। नाबालिग बच्चे की देखभाल मां करेगी और वह खुद व बच्चे की देखरेख करने की जिम्मेदार होगी।

उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य परिवार को तोडऩा नहीं है और सहमति को अदालत से मंजूरी प्रदान की जाएगी।

प्रसाद ने साथ ही संप्रग की अध्यक्ष सोनिया गांधी से वोट बैंक की राजनीति से ऊपर उठकर महिलाओं को न्याय दिलाने के प्रयास को समर्थन देने की अपील की।

उन्होंने इसके साथ ही ऐसी ही अपील बसपा प्रमुख मायावती और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से की।

प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस ने विधेयक का समर्थन लोकसभा में किया, लेकिन राज्यसभा में नहीं किया।
(आईएएनएस)

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