आईआईटी कानपुर लेगा अलग टेस्ट

आईआईटी कानपुर लेगा अलग टेस्ट

कानपुर। आईआईटी कानपुर ने मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल के एक राष्ट्र एक परीक्षा के प्रस्ताव को खारिज करते हुए अगले साल से अपनी अगल प्रवेश परीक्षा कराने का फैसला किया है। आईआईटी दिल्ली भी कानपुर मॉडल को अपना सकता है। आईआईटी कानपुर की 210 सदस्यीय सीनेट ने शुक्रवारको प्रस्तावित संयुक्त प्रवेश परीक्षा को खारिज कर दिया।

सीनेट ने कहा, यह प्रस्ताव अव्यावहारिक है तथा यह आईआईटी कानून का उल्लंघन है। सीनेट ने जेईई 2013 के आयोजन के लिए एक समिति का गठन भी कर दिया है। प्रवेश परीक्षा आयोजित कराने का अधिकार सीनेट को ही मिला है। आईआईटी कानपुर के अनुसार सीनेट ने साफ कहा कि जेईई में इस तरह का बदलाव मंजूर नहीं है। आईआईटी कानपुर के विद्यार्थियों ने भी प्रस्तावित संयुक्त परीक्षा की निंदा की थी। सीनेट के अनुसार देश में 44 स्टेट बोर्ड हैं। केंद्रीय बोर्ड की मूल्यांकन प्रक्रिया अलग होती है। इन सभी के अंकों का फार्मूला समान करना संभव नहीं है। ऎसे में इंटरमीडिएट के अंकों को जेईई में चयन का आधार बनाना और 40 फीसदी अंकों का वेटेज देना ठीक नहीं है।

आईआईटी कानपुर के एक अधिकारी के अनुसार सरकार और आईआईटी काउंसिल ने बदलाव का जो खाका तैयार किया है उसके हिसाब से 2012 की प्रवेश परीक्षा में शामिल लाखों विद्यार्थी आगामी 2013 की प्रवेश परीक्षा में नहीं बैठ सकेंगे। यदि बैठना है तो उन्हें दोबारा इंटर की परीक्षा देनी पडेगी जो गलत है।

सीनेट के निर्णय को मंत्रालय या काउंसिल द्वारा चुनौती नहीं दी जा सकती है क्योंकि बदलाव के सभी अधिकार सीनेट के पास सुरक्षित हैं। 2013 से आईआईटीए एनआईटी और एआईईईई की एक प्रवेश परीक्षा कराई जाए। मेरिट बनाते समय जेईई में मिले अंकों के साथ ही छात्र को 12वीं में मिले अंकों का 40 फीसदी वेटेज दिया जाए। यह परीक्षा सीबीएसई कराए। सीनेट के मुताबिक देश में 44 स्टेट बोर्ड हैं। सबकी मूल्यांकन प्रक्रिया अलग है। इन सभी के अंकों का फार्मूला समान करना संभव नहीं। ऎसे में 12वीं के अंक को जेईई में चयन का आधार बनाना ठीक नहीं।