सरकार को पता नहीं कितना है काला धन; काले धन में आ रही है कमी : प्रणब मुखर्जी

सरकार को पता नहीं कितना है काला धन; काले धन में आ रही है कमी : प्रणब मुखर्जी

नई दिल्ली। लोकसभा में सोमवार को कालेधन पर श्वेत पत्र पेश किया गया। इसमें न तो किसी का नाम लिया गया है और न ही राशि के संबंध में किन्हीं प्रामणिक आंकडों का खुलासा किया गया। इसमें समस्या से निजात पाने के लिए लोकपाल और लोकायुक्त के गठन की पुरजोर पैरवी जरूर की गई है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की ओर से पेश श्वेत पत्र में इसका कोई सरकारी आंकडा नहीं दिया गया है कि विदेशों में कितना काला धन जमा है। इसमें देश और विदेश में काले धन की राशि के बारे में विभिन्न एजेंसियों की रिपोर्टो का हवाला दिया गया है। दस्तावेज के जरिए सरकार ने कालेधन की समस्या से तेजी से निपटने के लिए त्वरित अदालतों के गठन की वकालत की है जिससे वित्तीय अपराधों का निपटारा तेजी से किया जा सके । मुखर्जी ने 97 पृष्ठ के श्वेत पत्र को पेश करते हुए कहा कि देश-विदेश में काले धन का कोई प्रामाणिक आंकडा उपलब्ध नहीं है तथा यह धारणा भी सही नहीं है कि स्विट्जरलैंड के बैंकों में सबसे अधिक धन भारतीयों का है। हालांकि श्वेतपत्र में यह दावा किया गया है कि स्विट्जरलैंड के बैंकों में भारतीयों के जमाधन में कमी आ रही है। श्वेत पत्र में स्विस नेशनल बैंक के आंकडों के हवाले से बताया गया कि वर्ष 2006 में वहां भारतीयों के 233 अरब 73 करोड रूपए जमा थे जबकि वर्ष 2010 में यह घटकर 92 अरब 95 करोड रूपए रह गया। श्वेत पत्र में डेबिट और क्रेडिट कार्ड के परिचलन को कर रियायत देकर प्रोत्साहित करने का सुझाव देते हुए कहा गया है कि इससे लेन देन का ऑडिट करने में सुविधा होगी। काले धन से निपटने के लिए स्वर्ण जमा योजना जैसी किसी रियायत स्कीम की संभावना के संबंध में कहा गया है कि इससे पहले अन्य नीतिगत उद्देश्यों को ध्यान में रखकर संपूर्ण कर रियायत की समीक्षा की जरूरत है। मुखर्जी ने वित्त विधेयक पर हुई बहस का जवाब देते हुए लोकसभा में कहा था कि काले धन की रकम के बारे में तीन संस्थान स्वतंत्र रूप से अध्ययन कर रहे हैं और उन्हें 18 माह के भीतर अपनी रिपोर्ट देनी है। यह अवधि इसी वर्ष जुलाई-अगस्त में पूरी होगी। श्वेत पत्र में कालेधन की समस्या से निपटने के लिए लोकपाल और लोकायुक्त जैसे संस्थानों के गठन के संबंध में इन्हें यथाशीघ्र गठित करने का पुरजोर समर्थन किया गया है जिससे केन्द्र और राज्यों में भ्रष्टाचार के मामलों की जांच में तेजी लाकर दोषी को न्याय के दायरे में लाया जा सके। श्वेत पत्र में स्विस बैंक के आंकडों के हवालों से कहा गया है कि वहां जमा कुल धनराशि में से भारतीयों का धन वर्ष 2010 में केवल 0.13 प्रतिशत था जबकि वर्ष 2006 में यह 0.29 प्रतिशत था। इसमें इंटरनेट पर जारी इस जानकारी को भ्रामक और गलत बताया गया है कि स्विस बैंको में भारतीयों का 1456 अरब डालर धन जमा है जो दुनिया में सबसे अधिक है। स्विस बैंकिंग एसोसिएशन के हवाले से जारी इस सूचना का श्वेत पत्र में खंडन करते हुए कहा गया है कि ऎसी कोई संस्था ही नहीं है। स्विट्जरलैंड में स्विस बैकर्स एसोसिएशन नामक संस्था अवश्य है जिसने कहा है कि उसकी ओर से कोई रिपोर्ट जारी नहीं की गई। पत्र में स्विस बैंक के आंकडों के हवालों से कहा गया है कि वहां जमा कुल धनराशि में से भारतीयों का धन वर्ष 2010 में केवल 0.13 प्रतिशत था जबकि वर्ष 2006 में यह 0.29 प्रतिशत था।