निर्यात लाभ की योजना में बदलाव की तैयारी करेंगे :डीजीएफटी

निर्यात लाभ की योजना में बदलाव की तैयारी करेंगे :डीजीएफटी

नई दिल्ली। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) विदेश व्यापार नीति (2009-2014) के तहत जल्द ही डीम्ड निर्यात लाभ योजना में बदलाव करने जा रहा है। डीजीएफटी खासकर बिजली कंपनियों द्वारा कई वर्षो से इस योजना के दुरूपयोग के बाद यह कदम उठा रहा है। डीजीएफटी ने एक मसौदा नीति तैयार की है जिसके तहत सभी हितधारकों के सुझाव प्राप्त किए जाएंगे और इसके बाद इस योजना में मह�वपूर्ण बदलाव किए जाएंगे।

पिछले साल मई में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने डीजीएफटी अनूप के पुजारी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। जिसमें औद्योगिक नीति एवं संवर्द्घन विभाग (डीआईपीपी), आर्थिक मामलों का विभाग (डीईए), भारतीय रिजर्व बैंक और राजस्व विभाग के प्रतिनिधि भी शामिल थे। डीम्ड निर्यात का मतलब उन लेनदेन से है जिनमें सामान की उन उपयोगकर्ताओं की आपूर्ति की जाती है जो देश नहीं छोडते हैं और ऎसी आपूर्ति के लिए भुगतान या तो भारतीय मुद्रा में या विदेशी मुद्रा में प्राप्त होता है। लेकिन उनके साथ कई शर्ते भी जुडी होती हैं। डीम्ड निर्यात लाभ में आयात या उन सामानों के निर्माण में इस्तेमाल होने वाली उत्पाद शुल्क योग्य सामग्री पर लगने वाले शुल्क में छूट शामिल है जिनकी आपूर्ति परियोजनाओं के लिए की जाती है।

पुजारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, हम घरेलू निर्माताओं और निर्यातकों के बीच समान अवसर चाहते हैं। चूंकि ऎसे लाभ का पिछले कई वर्षो से दुरूपयोग किया गया है, इसलिए सरकार ने पिछले साल इस योजना पर स्पष्टीकरण का निर्णय लिया। हालांकि अब हमने निर्णय लिया है कि इस नीति पर फिर से विचार किए जाने की जरूरत है। मसौदा रिपोर्ट तैयार है और हम जल्द ही इस नीति पर आगे बढेंगे। नई नीति में ऎसे लाभ में कमी लाए जाने और इसे पात्र या हकदार आपूर्तिकर्ताओं को ही मुहैया कराए जाने की संभावना पर जोर दिया जाएगा। पुजारी ने कहा, डीजीएफटी ने यह पाया था कि 2010-11 में लगभग 5000 करो़ड रूपये के डीम्ड निर्यात का भुगतान नहीं किया गया। साथ ही हमने यह भी देखा कि बडी तादाद में कंपनियां ऎसे लाभ का दुरूपयोग कर रही हैं और फर्जी दावे कर रही हैं। सरकार इससे लगभग 4000 करोड रूपये बचा सकती है। हमने इस नीति को स्पष्ट बनाए जाने के लिए गाइडलाइंस भी जारी की है।