चंबल रिवर फ्रंट : इंजीनियर और श्रमिक की मौत के लिए शांति धारीवाल और अनूप बरतरिया जिम्मेदार, इन पर दर्ज हो एफआईआर
कोटा (ब्यूरो)। नगरीय विकास, आवासन एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति
धारीवाल, प्रमुख आर्किटेक्ट अनूप बरतरिया और जिला कलेक्टर महावीर प्रसाद
मीणा की जिद ने चंबल रिवर फ्रंट पर दुनिया का सबसे भारी घंटी लगाने की
जल्दबाजी एक श्रमिक और इंजीनियर की जान ले ली।
इंजीनियर देवेंद्र आर्य
के बेटे का आरोप है कि उसके पिताजी को धारीवाल, अनूप बरतरिया और जिला
कलेक्टर उन्हें घटना जल्दी खोलने के लिए धमका रहे थे। जबकि उन्होंने कहा था
कि इस घंटे को चुनाव के बाद तकनीकी प्रोसेस के साथ खोलेंगे। जल्दबाजी में
यह घंटा टूट सकता है। लेकिन, वे नहीं माने और वही हुआ, जल्दबाजी ने उसके
पिता की जान ले ली। इनके खिलाफ गैर इरादतन हत्या की एफआईआर दर्ज होनी
चाहिए।
जनता की गाढ़ी कमाई से बना करीब 1500 करोड़ रुपए का यह चंबल
रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट पहले दिन से ही विवादों में है। क्योंकि इसे चंबल नदी
की चौड़ाई सीमा में घड़ियाल सेंचुरी सीमा के पास बनाया गया है। कोटा बैराज
के डाउन स्ट्रीम में होने के साथ-साथ वन्यजीव अधिनियम, पर्यावरणीय कानूनों
का उल्लंघन होने के कारण नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) पहले ही इस पर
कोटा यूआईटी, राजस्थान सरकार को नोटिस जारी कर चुका है। अब दो लोगों की मौत
ने इसे और भी भयावह बना दिया है।
यहां बता दें कि दुनिया की सबसे बड़ी
इस घंटी के सांचे का खोलने को लेकर चीफ आर्किटेक्ट अनूप बरतरिया और बेल
प्रोजेक्ट इंजीनियर देवेंद्र आर्य की पहले भी हॉट-टॉक हो चुकी है। बरतरिया
की घंटी को सांचे से बाहर निकालने में जल्दबाजी के कारण देवेंद्र आर्य ने
पहले कहा भी था कि वे इस वर्ल्ड क्लास प्रोजेक्ट में कोई समझौता नहीं
करेंगे।
देवेंद्र आर्य ने 28 अगस्त, 2023 को जिला कलेक्टर और नगर विकास न्यास
(यूआईटी) अध्यक्ष को पत्र लिखकर सूचित किया था कि यह वर्ल्ड क्लास घंटी
जिसका मूल मैटल का वजन 79 टन है। इसको बॉक्सेज में कवर करने के बाद सिलिका
मिट्टी के कारण इसका वजन बढ़कर 2500 मैट्रिक टन हो गया था। इसलिए इसे
तकनीकी तौर पर एक निश्चित प्रक्रिया के तहत ही खोला जाएगा।
लेकिन, अनूप
बरतरिया और धारीवाल मतदान से पहले इसे खोलने पर अड़े हुए थे। इन दोनों की
जल्दबाजी के कारण यह हादसा हो गया।
इधऱ, जोधपुर निवासी इंजीनियर के पुत्र ने कोटा में मीडिया को दिए बयान में
कहा कि उसके पिता यह घंटा बना रहे थे। जिसमें उन्हें कई वर्ल्ड रिकॉर्ड
मिलने थे। वे डायबिटीज के रोगी थे और हार्ट की बाइपास सर्जरी हो चुकी थी।
उन्होंने
बरतरिया और धारीवाल एवं प्रोजेक्ट इंजीनियर को बता दिया था कि 27 बॉक्स
में बंद यह घंटी निश्चित प्रोसेस के तहत ही खोली जा सकती है। इसमें
जल्दबाजी नहीं हो सकती। लेकिन, विधानसभा चुनाव के कारण धारीवाल, बरतरिया और
जिला कलेक्टर उनके पिता पर इन बॉक्सेज को जल्दी खोलने के लिए दबाव डालकर
इस काम पर लगा दिया। उसका कहना है कि उनके पिता के पास धारीवाल, बरतरिया,
कलेक्टर और बड़े लोगों के फोन आते थे। वे कहते थे कि इसे जल्दी खोलो
वरना....इतना कहकर फोन काट देते थे। उसका कहना है कि धारीवाल मतदान से
पहले इसे खुलवाकर श्रेय लेना चाहते थे। क्योंकि उन्हें इससे वोटों में
फायदा होने वाला था। पता नहीं 80-85 साल की उम्र में ये सदन में जाकर क्या
कर चाहते हैं। उसका कहना है कि इसमें इन्हें करोड़ों रुपए बच रहे थे। आर्य
के पुत्र का यह भी कहना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद जोधपुर के हैं,
इसके बावजूद उसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
इधर, धारीवाल का कहना है
कि उन पर लगे आरोप बेबुनिया हैं। चुनाव आचार संहिता लगी हुई इसलिए वे इस
प्रोजेक्ट को लेकर इंजीनियर और श्रमिक को किसी तरह का निर्देश नहीं दे सकते
थे। पूरा काम यूआईटी देख रही है। वही, इसके लिए जिम्मेदार है।
इधर,
कोटा के नागरिकों का कहना कि इस चंबल रिवर फ्रंट के प्रोजेक्ट से कोटा के
नागरिकों को कोई फायदा नहीं हुआ है। यहां अब पर्यटक भी नहीं आ रहे हैं। ऊपर
से हादसे हो रहे हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की तलवार लटकी हुई है सो
अलग। कोटा के लोगों की गाढ़ी कमाई के 1500 करोड़ रुपए बर्बाद होने से यहां
के लोग खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
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