सबसे अधिक अवैध और कालाधन रीयल एस्टेट में जहां नियमों का कोई वजूद ही नहीं

सबसे अधिक अवैध और कालाधन रीयल एस्टेट में जहां नियमों का कोई वजूद ही नहीं

नई दिल्ली। सबसे ज्यादा काला धन रीयल एस्टेट में जहां नियमों का कोई वजूद ही नहीं जमींदारी अंकुश लगाने के लिए सरकार ने भूहदबंदी कानून बनाया ताकि लोग आवश्यता से अधिक जमीन न रख सकें लेकिन लोगों ने कानून से बचने के लिए अपनी जमीन कुत्ते बिल्लियों के नाम कर दी। देशमें ऐसे कई मामले प्रकाश में आए जिसमें जमीन व फार्म हाऊसों के मालिक पालतू जानवर निकले है.




आर्थिक खुफिया एजेंसियों ने वित्त मंत्रालय को सूचित किया है कि सबसे अधिक अवैध और कालाधन देश के रीयल एस्टेट क्षेत्र में पैदा हो रहा है और इसी क्षेत्र में ही इसका इस्तेमाल भी हो रहा है। केंद्रीय आर्थिक खुफिया ब्यूरो (सीईआईबी), आयकर और उत्पाद शुल्क खुफिया महानिदेशालय जैसे विशेष विभागों ने प्रवर्तन निदेशालय व आयकर-जांच को विशेष अभियान चलाने और रीयल एस्टेट क्षेत्र में आ रहे धन पर पैनी नजर रखने को कहा है।

छुपाई गई बेहिसाब आय का पता आयकर विभाग की जांच इकाई द्वारा लगाया गया और रीयल एस्टेट व निर्माण क्षेत्र में ऎसी छिपी आय 1,400 करोड रूपये से अधिक रही जबकि विनिर्माण क्षेत्र में ऎसी आय 1,100 करोड रूपये से अधिक रही। आंक़डों से यह संकेत भी मिलता है कि इन क्षेत्रों में कर चोरी के लिए लोगों> द्वारा जो उपाय अपनाए गए उनमें आयकर कानून के तहत कर कटौती के गलत दावे, बेहिसाब नकदी के लेनदेन, कई चरणों में लेनदेन, विदेशी स्थानों से धन प्राçप्त व लाभ को कम करके दिखाना शामिल है।

ज्ञात रहे,कुछ समय पहले वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक खुफिया परिषद की एक बैठक में सीईआईबी ने बताया कि 2011 के दौरान बिना खुलासे वाली आय का सबसे अधिक करीब 40 प्रतिशत रीयल एस्टेट क्षेत्र में पाया गया जिसके बाद 27 प्रतिशत विनिर्माण क्षेत्र में देखने को मिला।

ज्ञात रहे,आर्थिक खुफिया आंकडों का संग्रह करने व इसे बांटने के लिए नोडल एजेंसी के तौर पर काम करने वाला सीईआईबी आर्थिक अपराधों के क्षेत्र में सभी संबद्ध एजेंसियों के साथ तालमेल बिठाता है। देश में कालेधन के सजन पर अंकुश लगाने, अवैध धन का विदेशों को हस्तांतरण और इसकी वसूली के लिए कानूनों को सख्त करने के उपाय तलाशने के वास्ते कालाधन से संबद्ध इस समिति का गठन किया गया था। वित्त मंत्री के निर्देश पर तैयार की गई रपट सीबीडीटी चेयरमैन की अगुवाई वाली समिति की सिफारिशों का हिस्सा बन चुकी है जिसने मार्च में अपनी रपट सरकार को सौंपी है।