राज्यसभा में भाजपा सांसद ने कहा, बॉर्डर पर फेंसिंग नहीं, भारत में घुस रहे हैं अवैध बांग्लादेशी
नई दिल्ली। भारत और बांग्लादेश के बॉर्डर पर बांग्लादेश से लोग अवैध तरीके
से भारत में आ रहे हैं। यहां इंटरनेशनल बॉर्डर पर कुछ स्थानों पर फेंसिंग न
होने के कारण बड़े स्तर पर इललीगल माइग्रेन होता है। ये लोग भारत में आकर
वोटर लिस्ट में अपना नाम लिखवा रहे हैं। पश्चिम बंगाल से भाजपा सांसद
नागेंद्र राय ने बुधवार को राज्यसभा में यह जानकारी दी।
राज्यसभा
में उन्होंने कहा कि कहा कि कुछ स्थानीय नेता अवैध तरीके से भारत आ रहे
बांग्लादेशियों की मदद करते हैं। भाजपा सांसद ने कहा कि बांग्लादेशी ओपन
फेंसिंग (अन-फेंसिंग) वाले बॉर्डर एरिया से भारत में प्रवेश कर रहे हैं।
उन्होंने
कहा, भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर हजारों लोग यह काम करते हैं। राय ने कहा
कि वह स्वयं भारत-बांग्लादेश के बॉर्डर एरिया पर गए। राय ने कहा कि
उन्होंने यहां स्वयं हालत को जाकर देखा और बीएसएफ से पूछा कि यहां फेंसिंग
क्यों नहीं है।
राय के मुताबिक, बीएसएफ अधिकारियों ने कहा कि पश्चिम
बंगाल सरकार फेंसिंग के लिए जमीन मुहैया नहीं करा रही है, इसलिए बॉर्डर पर
फेंसिंग का काम नहीं हो पा रहा है।
भाजपा सांसद ने राज्यसभा में
कहा कि बीएसएफ अधिकारियों ने इस विषय पर डीएम से भी बात की लेकिन उन्हें
कोई जवाब नहीं मिला। नागेंद्र राय के मुताबिक बीएसएफ से यह जवाब मिलने के
बाद उन्होंने स्वयं जलपाईगुड़ी के डीएम से मिलने का प्रयास किया लेकिन डीएम
ने व्यस्त होने की बात कर मिलने से मना कर दिया और एडीएम के पास जाने को
कहा।
इसके बाद एडीएम से बात की और उन्हें बॉर्डर पर फेंसिंग की समस्या से अवगत कराया।
राय
में राज्यसभा में कहा कि यह देश के लिए बहुत खतरनाक स्थिति है। इस प्रकार
अवैध तरीके से भारत में घुसने को रोका जाए। उन्होंने राज्यसभा में मांग की
कि भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर जल्द से जल्द फेंसिंग की जानी चाहिए और सरकार
इसके लिए जगह दे।
उन्होंने कहा कि इंटरनेशनल बॉर्डर पर इस तरह की अवैध घुसपैठ बेहद खतरनाक है, यह देश के लिए खतरा बन सकता है।
उन्होंने
कहा कि कई नेताओं को इस बारे में जानकारी है। वे बांग्लादेश से आए लोगों
को पश्चिम बंगाल में बसाते हैं और मतदाता सूची में उनका नाम दर्ज करवाते
हैं।
राय ने कहा कि यह एंटी सोशल एक्टिविटी है और भारत के लिए एक
खतरा भी है। ये लोग, ये नेता ऐसे काम करते हैं मानो जैसे ये विदेश मंत्रालय
से अधिकृत हों। यह पूरी तरह से गैरकानूनी और एंटी सोशल है।
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