गुणकारी है कसैला जामुन

गुणकारी है कसैला जामुन

गर्मी के आते ही बाजारे में जामनी के रंग के जामुन नजर आने लगते है। लेकिन क्या आपको पता है यह जामनी रंग, स्वाद में खट्टा-मीठा जामुन कितना गुणकारी है। जामुन स्वाद में तो कसैला होता है लेकिन इसमें रोगों से लडने के गुण भरपूर होते हैं। जामुन वातकारक, पित्तशामक और उल्टी को रोक के काम आता है।

डायबिटीज को रोकने के लिए इसकी गुठली का उपयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त और भी अन्य रोगों से बचाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। जामुन का सिरका भी बनाया जाता है, यह पाचकदायक होता है। जामुन खाने या उसका रस पीने से उल्टी का वेग रूकता है इससे दिल की तेज धडकन भी नियंत्रित होती है। जामुन के रस में शक्कर मिलाकर पीने से पेचिश के रोगी को तुरंत फायदा होता है। यदि आपकी आवाज बैठ गई है या मोटी या भारीपन लिए हुए है और आप इससे छुटकारा पाना चाहते हैं तो आपको शहर में जामुन की गुठली का पाउडर मिलाकर लेना चाहिए।

इससे आवाज का भारीपन दूर होता है साथ ही आवाज भी साफ हो जाएगी। जामुन और आम की गुठलियों का 2-2 ग्राम पाउडर छाछ के साथ दिन में तीन बार लेने से पेट दर्द दूर होता है। पथरी के रोगी को जामुन की गुठली का पाउडर दही के साथ सुबह-शाम कम से कम दिन में 3 ग्राम की मात्रा के साथ लेना चाहिए। इससे पथरी गलकर धीरे-धीरे निकल जाती है। इसके साथ ही पका जामुन खाने से भी पथरी के मरीज को आराम भी मिलता है। जामुन की गुठली को सुुखाकर उसका पाउडर बनाकर रख लें। नियमित रूप से आधा चम्मच की मात्रा में सुबह शाम पानी के साथ इसका सेवन करें।

जामुन की छाल को सुखाकर उसे जलाएं और राख बनाकर छान लें। फिर इसे बोतल में भरकर रख लें। इसके सेवन से सुबह शाम 60-65 मिली ग्राम की मात्रा में खाली पेट पानी के साथ इसके सेवन करने से डायबिटीज नियंत्रित रहता है। जामुन की गुठली को पानी के साथ घिसकर चेहरे पर लेप करने से मुंहासे और फुंसियां दूर होती हैं और चेहरे का सौंदर्य निखरता है। आग से जलने पर घाव हो तो जामुन की छाल की राख तेल के साथ मिलाकर घाव लगाने से लाभ होता है। जामुन की छाल को छाया में सुखाकर बारीक पीसकर कपडे से छान लें। इसका प्रयोग मंजन के रूप में करें। इससे दांत मजबूत होते हैं, साथ ही पायरिया और दांत दर्द से भी छुटकारा मिलता है।

मुंह में छाले हो जाने पर जामुन का रस लगाने या जामुन खाने से छाले तुरंत ठीक हो जाते हैं। ठंडे पानी में जामुन को कम से कम 2 घंटे तक भिगोकर रखें। फिर उनकी गुठलियां निकालकर उन्हें हाथ से अच्छी तरह मसलकर कपडे से निचोड-छानकर रस निकाल कर रख लें। यह रस पेटदर्द, ह्वदय शूल, यूरिन में जलन आदि रोगों में अत्यंत लाभदायक है।