लखनऊ के ट्रॉमा सेंटर में आग से 8 की मौत, मुख्यमंत्री ने जायजा लिया

लखनऊ के ट्रॉमा सेंटर में आग से 8 की मौत, मुख्यमंत्री ने जायजा लिया

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी स्थित केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर की दूसरी और तीसरी मंजिल पर शनिवार देर शाम आग लगने से फैले धुआं में दम घुटने से मरने वालों की संख्या आठ हो गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को ट्रॉमा सेंटर का निरीक्षण किया और मरीजों का हाल जाना।

मुख्यमंत्री ने आग की घटना में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने चिकित्सकों को सुचारु रूप से इलाज जारी रखने के निर्देश दिए।

बताया जा रहा है कि आग शॉर्ट सर्किट से लगी। हादसे के समय अस्पताल में लगभग 300 मरीज भर्ती थे और पांच लोगों का ऑपरेशन चल रहा था। आग की लपटें देखकर भगदड़ मच गई। मरीजों और उनके तीमारदारों का कहना है कि आग लगते ही डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ उन्हें छोडक़र निकल गए। कमरों में धुआं भरता रहा, काफी देर तक उन्हें निकलने का कोई इंतजाम किया गया। तीमारदार अपने मरीज को पीठ पर लादकर निकलते देखे गए।

अस्पताल के कर्मियों के मुताबिक, बाद में दूसरी, तीसरी और चौथी मंजिल से मरीजों को निकालकर उन्हें दूसरे अस्पतालों में शिफ्ट कराया गया।

केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में पहले भी आग लगने की घटना हो चुकी है, लेकिन उससे कोई सबक नहीं लिया गया। आग बुझाने का कोई इंतजाम भी नहीं है। शनिवार देर शाम आग लगने पर अलार्म भी नहीं बजा।

अस्पताल के प्रबंधन के मुताबिक, इस हादसे में आठ लोगों के मारे जाने की खबर है। मुख्यमंत्री ने मंडलायुक्त को घटना की जांच कर तीन दिन में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।

 योगी ने पांडित्यपूर्ण शब्दों में कहा, ‘‘इस घटना के लिए दोषी व्यक्तियों का उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाए, जिससे उनके विरुद्ध कार्रवाई की जा सके। साथ ही, इस प्रकार की घटना की भविष्य में पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए भी संस्तुतियां दी जाएं।’’

अस्पताल सूत्रों के मुताबिक, सेंटर के ज्यादातर मरीजों को लारी और शताब्दी अस्पताल में शिफ्ट किया गया। हादसे के दौरान ट्रॉमा सेंटर में चीख-पुकार मची रही। परेशानहाल तीमारदार अपने मरीजों को लेकर इधर-उधर भागते नजर आए। उनके सामने अब समस्या यह है कि मरीज की जांच की रिपोर्ट और फाइल अफरा-तफरी में गुम हो गई या जल गई, यह पता नहीं चल रहा है। उनके मरीज का इलाज कैसे होगा, यह सोचकर चिंता में पड़े हैं। ट्रॉमा सेंटर का कोई कर्मचारी यह बता नहीं रहा है कि इलाज के लिए वैकल्पिक व्यवस्था कब तक होगी।

(आईएएनएस/आईपीएन)

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