प्यार में पहल पुरुष ही क्यों करें?
वह कहती हैं, ‘‘बम्बल की तरह अब कई और महिला प्रधान डेटिंग एप शुरू हो सकते
हैं, क्योंकि अब भारतीय महिलाएं संकोच के आवरण से बाहर निकलकर हर चीजों
में हाथ आजमा रही हैं।’’
‘ङ्क्षटडर’, ‘जुस्क’, ‘बम्बल’, ‘हैपन’,
‘मैच’, ‘वन्स’, ‘ङ्क्षहज’, ‘हगल’, ‘द लीग’, ‘चैपी’, ‘प्लेंटी ऑफ फिश’,
‘लेस्ली’, जैसी दर्जनभर से अधिक डेटिंग वेबसाइट्स हैं, जहां बड़ी तादाद में
महिलाएं प्यार की तलाश में हैं।
ऑनलाइन डेटिंग का यह फैशन पश्चिमी
देशों से होता हुआ भारत पहुंचा है। सबसे पहला डेटिंग एप 1995 में शुरू
हुआ, जिसका नाम ‘मैच डॉट कॉम’ था। इसके बाद 2000 में ‘ईहार्मनी’ और 2002
में ‘एश्ले मैडिसन’ शुरू हुआ, जिन्होंने ऑनलाइन डेटिंग का शुरुआती क्रेज
शुरू किया। साल 2012 में ‘टिंडर’ लॉन्च हुआ, जो पहला डेटिंग एप था, जिसमें
स्वाइप की सुविधा थी।
मार्च, 2014 तक टिंडर पर दुनियाभर में रोजाना
की दर से एक अरब जोड़ों के मैच हो रहे थे। साल 2014 में ही टिंडर की
को-फाउंडर व्हाइटनी वोल्फ ने बम्बल शुरू किया, जो महिला प्रधान डेटिंग एप
है। 1990 के दशक में ऑनलाइन डेटिंग एक स्टिग्मा था लेकिन अब एक-तिहाई
शादियां ऑनलाइन ही हो रही हैं।
‘बम्बल’ ने अपनी वेबसाइट पर टैगलाइन
लिखी है, ‘‘बंबल पर महिलाएं पहले कदम बढ़ाती हैं। हम आपके लिए मैदान तैयार
कर रहे हैं और डेटिंग के तरीके बदल रहे हैं। हमारा मानना है कि रिश्तों की
शुरुआत सम्मान और समानता के साथ होनी चाहिए।’’