जानिए स्वाइन फ्लू से बचाव के प्रमाण-आधारित आयुर्वेदिक सूत्र
बता दें कि एन्फ्लुएंजा वायरस का संक्रमण छींकने, खाँसने, या संक्रमित सतहों व वस्तुओं को छूने से फैलता है। एक व्यक्ति कई बार संक्रमित हो सकता है। टाइप-ए एन्फ्लुएंजा वायरस असल में सुअर-जन्य वायरस का एक उप-प्रकार, ए(एच1एन1) है। इसके कारण वर्ष 2009 में स्वाइन फ्लू महामारी फैली। अब ये मौसमी एन्फ्लुएंजा के रूप संक्रमित करता है। सबसे पहले ये मेक्सिको के सीमान्त क्षेत्र में पाया गया था, जो दो माह के भीतर 21वीं सदी की पहली महामारी बन गया था। यह एक वृहद् विषय है। बीमार होने के बाद उपचार तो पृथक विषय है, परन्तु प्रश्न यह है कि क्या आयुर्वेद की मदद से स्वाइन फ्लू वायरस की चपेट में आने से बचा जा सकता है? आज की चर्चा इसी विषय पर केन्द्रित है।