श्राद्ध पक्ष में कौओं का बड़ा महत्व, जानिए..

श्राद्ध पक्ष में कौओं का बड़ा महत्व, जानिए..

पितृ पक्ष अपने पितरों से जुड़ा पर्व है। पितृ पक्ष 28 सितंबर तक चलेगा। पितृ पक्ष में पितरों की तृप्ति के लिए श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। पितरों की तृप्ति के लिए श्राद्ध कर्म करते हैं। उनको भोजन और तर्पण देते हैं ताकि उनकी आत्मा को शांति मिले। श्राद्ध पक्ष में कौओं का बड़ा ही महत्व है।

कौआ दिशाओं का फलित (शुभ-अशुभ) संकेत देने वाला बताया गया है। इस कारण से पितृ पक्ष में श्राद्ध का एक अंश कौओं को भी दिया जाता है।

भारतीय मान्यता के अनुसार, श्राद्ध पक्ष में कौआ यदि आपके हाथों दिया गया भोजन ग्रहण कर ले, तो ऐसा माना जाता है कि पितरों की कृपा आपके ऊपर है, पितर आपसे प्रसन्न हैं। इसके विपरीत यदि कौआ भोजन करने नहीं आए, तो यह माना जाता है कि पितर आपसे विमुख हैं या नाराज हैं।

श्राद्ध में कौए का महत्व...
भारतीय मान्यता के अनुसार, व्यक्ति मरकर सबसे पहले कौआ के रूप में जन्म लेता है और कौआ को खाना खिलाने से वह भोजन पितरों को मिलता है। इसका कारण यह है कि पुराणों में कौए को देवपुत्र माना गया है।

इन्द्र के पुत्र जयन्त ने ही सबसे पहले कौए का रूप धारण किया था। यह कथा त्रेतायुग की है, जब भगवान श्रीराम ने अवतार लिया और जयंत ने कौए का रूप धारण कर माता सीता के पैर में चोंच मारा था। तब भगवान श्रीराम ने तिनके का बाण चलाकर जयंत की आंख फोड़ दी थी। जब उसने अपने किए की माफी मांगी, तब राम ने उसे यह वरदान दिया कि तुम्हें अर्पित किया भोजन पितरों को मिलेगा। तभी से श्राद्ध में कौओं को भोजन कराने की परम्परा चली आ रही है। यही कारण है कि श्राद्ध पक्ष में कौओं को ही पहले भोजन कराया जाता है।

श्राद्ध में करते हैं कौओं को आमंत्रित...
श्राद्ध पक्ष पितरों को प्रसन्न करने का एक उत्सव है। यह वह अवसर होता है, जब हम खीर-पूड़ी आदि पकवान बनाकर उसका भोग अपने पितरों को अर्पित करते हैं। इससे तृप्त होकर पितर हमें आशीर्वाद देते हैं। श्राद्ध पक्ष से जुड़ी कई परम्पराएं भी हमारे समाज में प्रचलित हैं। ऐसी ही एक परम्परा है, जिसमें कौओं को आमंत्रित कर उन्हें श्राद्ध का भोजन खिलाते हैं।

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