प्यार के साथ-साथ थोडी सख्ती भी बरतें
बच्चो की प्यारी-प्यारी शरारतें, बातें रोना, रूठना आदि यह सब अच्छा तो लगता है पर एक हद तक। जैससे ही वह बडों के निदेंя┐╜शों को समझने के काबिल होता है, हमें उसे अनुशासित करने की जरूरत महसूस होने लगती है। आदतों में सुधार लाने की जरूरत है। एक उदाहरण ले लीजिए कि जिस तरह से डॉक्टर हमें बीमारी में कडवी दवा देता हैउसी तरह बच्चों की गलत आदतें सुधारने के लिए उनके साथ थोडी सख्ती बरते की जरूरत होती है। जब बच्चो को यह महसूसा होगा कि आप उसकी भलाई के लिए वाकई चिंतित हैं तो वह आपकी बात जरूर मानेगा।