विश्वसनीय बनने के लिए जीतना चाहते हैं सहकर्मियों का भरोसा तो करें यह उपाय
ऑफिस में काम करते हुए अक्सर हमें कैसे हो के जवाब में ठीक हूँ सुनने को
मिलता है। हम अपने सहकर्मियों से इसी तरह से हाल-चाल पूछते हैं और हमें यही
जवाब सुनने को मिलता है। जवाब सुनने के बाद हम सभी अपने-अपने काम में लग
जाते हैं। वास्तविकता यह है कि ऐसा करते हुए हम एक मौका खो देते हैं। एक
ऐसा माहौल बनाने का मौका जहाँ लोग पूरी ईमानदारी और सच्चाई के साथ
मिले-जुलें। यह इसलिए कि जब कर्मचारी पूरी सत्यता के साथ आपस में मिलते हैं
तो बेहतर काम करते हैं। यदि आप अपने सहकर्मियों का भरोसा जीतना चाहते हैं
तो कुछ ऐसी बातों का ध्यान रखना चाहिए जो बहुत मामूली सी हैं लेकिन हम उनका
ध्यान नहीं रखते हैं।
आइए डालते हैं एक नजर उन बातों पर जिनके जरिये आप अपने सहकर्मियों का भरोसा जीतने के साथ-साथ विश्वसनीय भी बन सकते हैं...
अपनी बात रखने का मौका दें
यदि कोई आपसे पूछे कि आप कैसे हैं और
आप ठीक नहीं हैं तो ऐसे में केवल इतना कहा जा सकता है कि—आज मेरा सबसे
अच्छा दिन नहीं है। इस तरह आप अपनी बात को साझा तो करते हैं ओवर शेयरिंग से
बच जाते हैं। ध्यान रखें आपको सामने वाले की प्राइवेसी में दखल नहीं देना
है। जब तक माँगी ना जाए सलाह देने से बचना चाहिए। यदि कोई बात नहीं करना
चाहे तो उसे इसकी इजाजत दें।
हालचाल के अतिरिक्त भी कुछ और पूछें
कार्यस्थल
पर यदि कोई कहे कि वो ठीक है तो उनसे कहें कि मान लिया आप ठीक हैं, लेकिन
जब कभी आप ठीक ना हों तो जरूर बताइएगा कि आप ठीक नहीं हैं। यह मत भूलिएगा
कि मैं यहाँ हमेशा मौजूद हूँ, आपसे बात करने के लिए। या फिर थोड़ा रुककर यह
पूछ सकते हैं कि मुझे याद आया आपकी पत्नी बीमार थी, अब कैसी हैं वो। इस
तरह ऑफिसकर्मी को अहसास होगा कि आप वाकई उनकी बात को ध्यान से सुनते हैं।
एक नहीं, दो बार पूछें हाल-चाल
ऑफिस
पहुँचकर जब आप किसी से यह पूछते हैं कि आप कैसे हो और वो जवाब में ठीक
हूँ, बोलते हैं तो एक बार फिर अपने सवाल को दोहराइए। कहिए कि मुझे पता है
आपने अभी कहा कि आप ठीक हैं लेकिन क्या आप वास्तव में ठीक हैं। इसके बाद यह
अंदाजा लगाने की कोशिश करें कि सामने वाला आपको जवाब देने में कितनी देर
लगता है और कितना सहज महसूस करता है या फिर वह जवाब देने से बचने की कोशिश
करता है।