बच्चों के सामने कैसे करें रोमांस
भारतीय दंपत्तियों के बीच यह आम बात है कि वह बच्चें के सामने अपने संबंधों को लेकर शरमाते है या फिर उनके सामने बहुत अधिक दूरी रख व्यवहार करते है। फिर हाथ पकडना जैसी हरकते तो दूर की बात है, अकसर मां बच्चें को पालने में इतनी खो जाती है कि वे इस बारे में सोचना ही छोड देती है। उनके लिए प्रेम मुहब्बत कॉलेज की बचकानी बातें लगती है। यही वजह है कि उनके दांपत्य जीवन में जल्द ही नीरसता आ जाती है और उनके बीच बाते करने का बस एक ही टॉपिक नजर आता है, वह है घर की दाल तरकारी और बच्चे। इस वजह से पति भी घर आने से बचते है कि बेकार बोरियत होगी और पत्नियों को भी लगता है कि पति जल्दी ऑफिस जाएं तो वह जल्दी घर व बच्चें का काम निपटाएं। इस तरह उनके जीवन में कोई उमंग, प्यार व रोमांस नहीं रह जाता, जिससे उनके दांपत्य जीवन की नींव धीरे-धीरे कमजोर होने लगती है। दूसरे, उन्हें लगता है कि बच्चें के सामने ऎसी हरकते करेंगे या प्यार का प्रदर्शन करेंगे तो बच्चे बिगड जाएंगे। यह सोच अपने आप में गलत है। माता-पिता का इस तरह का व्यवहार बच्चें की सोच को संकीर्ण बना देता है, बच्चे माता-पिता के बीच आपसी प्यार का संवेदनशील आदान-प्रसान चाहे वह एक स्पर्श मात्र ही, क्यो ना हो, वह भी नहीं देख पाते, क्योकि उन्होंने बचपन से यह नहीं देखा होता। उनकी सोच इस हद तक संकीर्ण हो जाती है कि उन्हें प्यार और परिवार अलग-अलग सीमाओं में बंधा लगता है। बच्चें प्यार को एक चोरी-छिपे की जाने वाली चीज समझते हुए बडे होते है। वे समझते है कि प्यार किसी अंधेरे कोने में अभिव्यक्त की जाने वाली भावना है, जिसके लिए किसी पिक्चर हॉल का अंधेरा या किसी पब्लिक पार्क का झुरमुट ही सही रहता है। जबकि सच तो यह है कि जो बच्चे अपने घर में प्यार पनपता देखता है वह कभी गुमराह नहीं होता। बच्चें के मन पर माता-पिता के प्यार का बहुत ही सुखद और सुंदर असर पडता है और उन्हें जोडे रखना सीखता है, इसलिए माता-पिता बनने के बाद पति-पत्नि को अपने बीच का रोमांस फीका नहीं पडने देना चाहिए, क्योकि वहीं रोमांस उन के दांपत्य जीवन को भी सुखी बनाता है और बच्चें भी माता-पिता में प्यार देख मानसिक रूप से स्वथ्य रहते है।