बच्चो की लर्निग डिसएबिलिटी से घबराएं नहीं
कैसे पहचानें लर्निग डिसएबिलिटी जन्मजात समस्या है। जब तक बच्चों का सामना रीडिंग-राइटिंग से नहीं होता, तब तक यह समस्या न तो पेरेंट्स के सामने आती है और न ही बच्चों के । अमूमन 2-3 क्लॉस में जाने पर लर्निग डिसएबिलिटी की समस्या आरंभ होती है, जब उन्हें अक्षर बोलने, लिखने और पहचानने के लिए कहा जाता है। किन्तु लर्निग डिसएबिलिटी से ग्रसित होने के कारण वह बोलने, लिखने और पहचानने में असक्षम होते हैं। हालांकि उनका आई क्यू लेवल सामान्य होता है। मगर पूछे गए प्रश्नों का जवाब देने में ये बच्चे असक्षम होते हैं।