मातापिता से इजाजत मिल जाए तो ग्रुप डेटिंग का मजा और भी बढ जाता है। शायद ऎसा इसलिए कि मन में बैठा अपराधबोध का भाव खत्म हो जाता है और संयम में रहने की नैतिक जिम्मेदारी भी बढ जाती हैैैै, इसलिए अभिभावकों को ग्रुप डेटिंग की इजाजत देने से परहेज नहीं करना चाहिए। नहीं देंगे तो संतान को चोरीछिपे अपने साथी से मिलने को ही उकसाएंगे।