लडकियाँ कितनी भी मॉडर्न क्यों ना हो गई हों शुरू में अभी भी झिझकती हैं पर ग्रुप में यह संकोच खत्म हो जाता है। सभी घन्टे दो घन्टे में इतना घुलमिल जाते हैं कि लगता है जैसे सालों से एकदूसरे को जानते हैं। हंसीमजाक, जोक्स, गाने वगैरह का दौर भी चलता है। और यही हम चाहते हैं कि एकदूसरे को एकांज के अलावा समूह में भी समझें, जिसमें में पार्टनर की खूबियों और कमियाँ खुलकर सामने आ जाती है।