शिशु की हो ठीक से देखभाल
छोटा-सा नवजात शिशु जो न कुछ बोल सकता है और न ही अपनी बात वो किसी से इशारों से आपको समझा सकता है तो ऎसे में वो सिर्फ रो कर ही आप से बात कह पाता है मां को तो सिर्फ अंदाजा लगना होता है कि अब उसे भूख लग रही है, अब उसे गीला या उस के पेट में दर्द हो रहा है। इसलिए तो बच्चो को जन्म देने से भी ज्यादा कठिन हे उसका पालनपोषण उसे किसी भी समय मां की जरूरत हो सकती है चाहे सुबह हो या शाम हर समय किसी न किसी की ड्यूटी पर होना ही चाहिए। पता नही कब जरूरत हो जाएं।