केंद्र ने SC में कहा-खत्म हुई 3 तलाक प्रथा तो सरकार लाएगी कानून

केंद्र ने SC में कहा-खत्म हुई 3 तलाक प्रथा तो सरकार लाएगी कानून

नई दिल्ली। मोदी सरकार मुस्लिमों महिलाओं की सुरक्षा को लेकर काफी प्रयासरत है। इसी कड़ी में अब ट्रिपल तलाक पर चल रही बहस के बीच केंद्र सरकार नया कानून लाने को तैयार हो गई है। यह बात सोमवार को एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में कहीं। ट्रिपल तलाक पर चल रही बहस के बीच रोहतगी ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट पर्सनल लॉ में दिए तलाक को रद्द कर देता है तो लोगों को दिक्कत नहीं होने दी जाएगी, ऐसी स्थिति में सरकार मुस्लिमों के लिए नया कानून बनाएगी। आपको बता दें कि ट्रिपल तलाक पर चल रही सुनवाई का आज तीसरा दिन था। एटॉर्नी जनरल सोमवार को 5 जजों की संविधान पीठ के सामने केंद्र सरकार का पक्ष रखने के लिए पेश हुए। इस दौरान रोहतगी ने कहा कि सिर्फ एक साथ 3 तलाक ही नहीं, पर्सनल लॉ में मौजूद तलाक के बाकी दो प्रावधान, तलाक ए अहसन और तलाक ए हसन भी महिलाओं से भेदभाव करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा-मर्द तलाक के लिए क्या करेगी सरकार

इस पर 5 जजों की बेंच के सदस्य जस्टिस ललित ने पूछा, अगर सबको खारिज कर दिया गया तो मर्द तलाक के लिए क्या करेंगे। एटॉर्नी जनरल ने कहा, सरकार तलाक के लिए कानून बनाएगी। उन्होंने कहा कि हम कैसे जिएं, इस पर नियम बनाए जा सकते है। शादी और तलाक धर्म से जुड़े मसले नहीं है। साथ ही कुरान की व्याख्या करना कोर्ट का काम नहीं है।

पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे देशों में खत्म हो चुका है ट्रिपल तलाक

एटॉर्नी जनरल ने कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे इस्लामिक देशों में ट्रिपल तलाक की प्रक्रिया खत्म हो चुकी है। हम धर्मनिरपेक्ष हैं, इसलिए ही अभी तक इस पर बहस कर रहे हैं। उन्होंने अलग-अलग देशों में वैवाहिक कानूनों से जुड़ी लिस्ट भी कोर्ट को दी और कहा कि कई मुस्लिम देशों में तलाक फैमिली कोर्ट के ज़रिए ही होता है।

सुप्रीम कोर्ट का यह कहना रहा बेहद अहम

आज की सुनवाई के एक बेहद अहम बात रही सुप्रीम कोर्ट का ये कहना कि उसने हलाला और बहुविवाह का मसला बंद नहीं किया है। कोर्ट ने कहा कि निकाह हलाला और मुस्लिम मर्दों को एक से ज़्यादा शादी की इजाज़त पर आगे विचार होगा। फिलहाल, समय की कमी के चलते सिर्फ 3 तलाक पर विचार हो रहा है।  कोर्ट ने ऐसा तब कहा जब एटॉर्नी जनरल ने ये याद दिलाया कि 2 जजों की बेंच ने 3 तलाक, हलाला और बहुविवाह पर संज्ञान लिया था। एटॉर्नी जनरल ने ये मांग की कि कोर्ट को सभी मसलों पर सुनवाई करनी चाहिए।

सिब्बल ने उठाया धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का मुद्दा

दिन की कार्रवाई खत्म होने से पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने अपनी दलीलें शुरू की। आज उन्हें लगभग 15 मिनट ही अपनी बात रखने का मौका मिला। इस दौरान उन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का मसला उठाया। उन्होंने कहा कि संविधान सभी समुदायों की परंपराओं की रक्षा करता है। हिमाचल के कुछ इलाकों में औरतों के एक से ज्यादा पति होते हैं। सिब्बल मंगलवार को भी अपनी दलीलें जारी रखेंगे।

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