राजस्थान से वसुंधरा और मध्यप्रदेश से शिवराज को पीछे धकलने की क्या रणनीति है, यहां पढ़ें
जयपुर। राजस्थान में वसुंधरा राजे और मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह को
पीछे धकलने की आखिर पीएम नरेंद्र मोदी व चाणक्य अमित शाह की क्या रणनीति
है? दरअसल इन दोनों नेताओं को बीजेपी में भी किसी भी सीनियर और लोकप्रिय
चेहरा पसंद नहीं है। इसका एक ही कारण है कि कोई भी नेता किसी भी वक्त उनके
सामने खड़ा नहीं हो सके। इसको लेकर दिल्ली में राजनीतिक विश्लेषकों की अहम
राय सामने आई है।
एक टीवी चैनल पर एक्सपर्ट की चर्चा के दौरान
यह बताया गया कि साल 2024 में होने वाले आम चुनावों में अगर भाजपा को
स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो अन्य पार्टियों का समर्थन लेना पड़ेगा। अन्य
दल पीएम नरेंद्र मोदी के नाम पर राजी नहीं होंगे। ऐसे में बीजेपी की रणनीति
यह है कि बीजेपी में पीएम नरेंद्र मोदी के अलावा कोई और चेहरा सामने न रहे
इसलिए ऐसे लोगों को राजनीतिक दृष्टि से हाशिये पर पहुंचा दिया जाए। फिलहाल
इसमें राजस्थान से वसुंधरा राजे, मध्यप्रदेश से शिवराज सिंह और छत्तीसगढ़
से रमनसिंह का नाम शामिल है। यह एक राय है।दूसरी राय यह सामने आई कि राज्य
के इन प्रमुख चेहरों को लोकसभा में उतारा जाए और मौजूदा सांसदों के
विधानसभा में ऐसी सीटों पर उतारा जाए जो भाजपा लगातार हार रही है। आम
चुनावों में एंटी इनकंबेंसी को खत्म करने के लिए बीजेपी ने यह रणनीति बनाई
है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा को इस बात का अहसास
हो गया है कि इन तीनों राज्यों में कांग्रेस के मुकाबले भाजपा बेहतर स्थिति
में नहीं है। इसलिए वे ऐसी रणनीति पर काम करना चाहते हैं कि कांग्रेस को
स्थिति समझ आए तब तक चुनाव हो जाएं और बीजेपी को लीड मिल जाए। उधर,
कांग्रेस ने भी पिछले दस सालों में बीजेपी की रणनीति से बहुत कुछ सीखा है।
कांग्रेस भी अब एग्रेसिव मोड में चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस भी अपने कई
दिग्गजों को चुनाव मैदान में उतारने की रणनीति पर काम कर रही है।
इसका
एक उदाहरण राजस्थान में मेवाड़ क्षेत्र है, जहां से लीड लेने वाली पार्टी
सत्ता तक पहुंचती है। ऐसे में कांग्रेस ने मेवाड़ में उदयपुर से अपने
राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरववल्लभ को कमान सौंप दी है। राजस्थान में उन्हें
मेनिफेस्टो कमेटी का संयोजक भी बनाया है। पूर्व सांसदों को भी चुनाव मैदान
में उतारने की तैयारी की जा रही है। भाजपा में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र
सिंह शेखावत, अर्जुनराम मेघवाल, कैलाश चौधरी, राज्यवर्द्धन सिंह जैसे
सांसदों को चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है। बहरहाल चुनावों में एक दिन
पहले बनने वाली रणनीति भी परिणाम में असर डाल देती है।ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
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