यूपीए सरकार के तीन साल पूरे, जश्न मनाने को कुछ नहीं

यूपीए सरकार के तीन साल पूरे, जश्न मनाने को कुछ नहीं

नई दिल्ली। यूपीए-2 के कार्यकाल को सोमवार को तीन साल पूरे हो गए। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी सरकार का रिपोर्ट कार्ड पेश करने के लिए तैयार हैं हालांकि जश्न मनाने के लिए कुछ खास है नहीं। सरकार की तीसरी वर्षगांठ के अवसर पर यूपीए अपने नेताओं के लिए मंगलवार को भोज का आयोजन करेगी।

कांग्रेस का मानना है कि लोकसभा चुनाव में दो साल का वक्त है इसलिए जो उपलब्घियां हैं उनका खूब बखान किया जाए भले ही वे सीमित हों। सरकार निर्णय नहीं ले पाने की अपनी छवि से मुक्ति पाने की कोशिश में अपने रिपोर्ट कार्ड में पिछले एक साल में विभिन्न क्षेत्रों में उठाए गए कदमों का उल्लेख करेगी। सरकार के प्रमुख आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु के थोडा समय पहले न्यूयार्क में दिए गए बयान से यह बात सामने आ गई थी कि सरकार कडे फैसले कर पाने में हिचक रही है।

बसु ने कहा था कि प्रमुख सुधार 2014 के बाद ही होंगे। सरकार अपने रिपोर्ट कार्ड के माध्यम से जनता को बताएगी कि उसने भ्रष्टाचार व महंगाई को काबू में लाने के लिए क्या किया। सरकार बताएगी कि खराब वैश्विक परिदृश्य के बावजूद आर्थिक विकास को गति देने के लिए उसने क्या कदम उठाए। सरकार 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन, कॉमनवेल्थ घोटाला, आदर्श हाउंसिंग जैसे घोटालों से घायल है। इन घोटालों के साथ 2014 के आम चुनाव में उतरना उसके लिए आसान नही होगा।

वहीं मौजूदा साल भी यूपीए-2 के लिए विवादों का साल रहा है। वित्त मंत्रालय रूपए की गिरती कीमत, महंगाई व खाद्य पदार्थो की आसमान छूती कीमतों से परेशान है। वहीं वैश्विक रेटिंग में भी भारत नीचे चला गया है। गृह मंत्री पी चिदंबरम का पसंदीदा प्रोजेक्ट एनसीटीसी रोक दिया गया है। आफ्स्पा, मणिपुर व तेलंगाना भी अनसुलझी समस्याएं हैं। रक्षा मंत्रालय सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह तथा रक्षा सौदों में भ्रष्टाचार को लेकर विवादों के कारण खबरों में छाया रहा है। उधर, ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश का प्रमुख भूमि अधिग्रहण बिल राजनीति में फंस गया है। इस पर यूपीए की प्रमुख सहयोगी तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने अडंगा लगा दिया है। भ्रष्टाचार में डूबी यूपीए सरकार पूरी तरह फेल हो गई है। नेतृत्व अभाव के चलते इसने लोगों का भरोसा खो दिया है।