
शायरी की खुशबू और पुराने इश्क़ का जादू मनीष मल्होत्रा की गुस्ताख इश्क़
“मेरा लहज़ा कैक्टस सा खुरदुरा, तेरी बातें रात-रानी की तरह… ग़म कोई देना है तो दे दे मुझे, दिल में रख लूंगा निशानी की तरह…” — यह शायरी सुनकर हर किसी के मुंह से ‘वाह-वाह’ निकल पड़ा जब गुस्ताख इश्क़ – कुछ पहले जैसा का ट्रेलर लॉन्च हुआ।
विभु पुरी के निर्देशन में बनी और मनीष मल्होत्रा की पहली फ़िल्मी प्रोडक्शन स्टेज5 प्रोडक्शन के तहत बनी गुस्ताख इश्क़ एक चलती-फिरती प्रेम-चिट्ठी है। शायरी, संगीत और ख़ामोशियों से भरी, जो आपको रुककर सुनने और महसूस करने पर मजबूर करती है।
आज जब दर्शक शायरी और क्लासिक कविता के जादू से दूर होते जा रहे हैं, गुस्ताख इश्क़ सबको पुराने ज़माने वाले प्यार की दुनिया में ले जाती है — जहाँ शब्द शायरी बनकर बहते हैं, संगीत सीधे दिल में उतरता है, और रोमांस चाहे पुराना हो या डिजिटल, फिल्म की सबसे खूबसूरत भाषा बन जाता है।
आज की प्यार की कहानियाँ अक्सर रील्स, स्लैंग और तेज़ कट्स में खो जाती हैं, लेकिन गुस्ताख इश्क़ एक लिरिकल सफ़र चुनती है। इसके संवाद, चुराई हुई नज़रें, शायरियाँ और हल्की-सी पुरानी यादों की सुगंध बताते हैं कि मोहब्बत आज भी वही है, बस अंदाज़ बदल गया है।
फिल्म पुरानी यादों और आज के समय का खूबसूरत मेल है — जो मनीष मल्होत्रा की पहली फ़िल्मी प्रोडक्शन के लिए एकदम सही चुनाव बनती है। लीड एक्टर्स की केमिस्ट्री बेहद सहज और दिल से महसूस होने वाली है। विशाल भारद्वाज का संगीत और गुलज़ार साहब के लिखे गीत इसे और भी जादुई बनाते हैं — मानो फिल्मों को फिर से अपनी असली आवाज़ मिल रही हो।
मनीष मल्होत्रा ने गुस्ताख इश्क़ – कुछ पहले जैसा के लिए नसीरुद्दीन शाह, विजय वर्मा, फ़ातिमा सना शेख और शारिब हाशमी को एक साथ लाया है।
अपने भाई दिनेश मल्होत्रा के साथ स्टेज5 प्रोडक्शन के तहत बनाई गई यह फ़िल्म पुरानी दिल्ली की गलियों और पंजाब की ढलती कोठियों में बसी एक अनकही मोहब्बत और जुनून की कहानी है।
फिल्म 28 नवंबर को सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी।
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