साइबर अपराध के खिलाफ जल्द बनेगी रणनीति : राजनाथ

साइबर अपराध के खिलाफ जल्द बनेगी रणनीति : राजनाथ

हैदराबाद। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को साइबर अपराध पर चिंता जताते हुए कहा कि इस पर रोक लगाने के लिए रणनीति जल्द बनाई जाएगी। राजनाथ ने सरदार वल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईपीएस) के 66वें पासिंग आउट परेड के दौरान साइबर अपराध को परंपरागत अपराध से अलग बताते हुए राजनाथ ने गृह मंत्रालय के अधिकारियों से साइबर अपराध पर प्रभावी रणनीति बनाने के लिए कहा।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि 2013-14 के आंक़डे दिखाते हैं कि महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में साइबर अपराध प्रत्येक वर्ष 50 फीसदी की दर से बढ़ रहे हैं। बढ़ते अपराध और इसकी नई प्रवृत्तियों के मद्देनजर पुलिस प्रशिक्षण और पुलिस व्यवस्था को आधुनिक बनाने पर जोर देते हुए राजनाथ ने इस बात का भरोसा दिलाया कि सरकार पुलिस सुधार को लागू करने के कदम उठाएगी और बिना किसी देरी के पुलिस बल के आधुनिकीकरण में तेजी लाएगी। उन्होंने कहा कि हालांकि पुलिस सुधार पर सुझाव देने के लिए 1978 में धरमवीर आयोग का गठन किया गया था, लेकिन इसकी सिफारिशें अब तक लागू नहीं की गई हैं।
 उन्होंने यह भी कहा कि आबाद तथा विविधता के कारण हमारे देश की पुलिस की चुनौतियां अन्य देशों की पुलिस की तुलना में अलग हैं। राजनाथ ने प्रशिक्षु अधिकारियों को देश के भीतर मौजूद विविधता, सामाजिक-आर्थिक स्थिति एवं सांस्कृतिक माहौल को समझने की सलाह दी। उन्होंने कहा, ""भारतीय पुलिस अधिकारियों को कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए शक्ति से अधिक अपने सामाजिक और मनोवैज्ञानिक गुणों का इस्तेमाल करना चाहिए।"" राजनाथ ने अधिकारियों को व्यक्तित्व निर्माण में क़डा और लचीला, दोनों तरह का दृष्टिकोण अपनाने की सलाह दी। उन्होंने कहा, ""जहां कहीं भी जरूरत हो आप कठोर बनें और समझौता न करें, लेकिन जहां जरूरत हो वहां लचीला और संवेदनशील बनें।
"" अकादमी की निदेशक अरूणा बहुगुणा ने कहा कि अकादमी का मुख्य उद्देश्य आने वाले समय के पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षित करना है, जो न सिर्फ नियमित कानून के पालन पर ध्यान देंगे, बल्कि वंचित वर्ग के लोगों और सांप्रदायिक मामले में संवेदनशीलता से काम करेंगे। 143 प्रशिक्षु अधिकारियों ने 46 सप्ताह का अपना प्रशिक्षण पूरा कर लिया है। इनमें 28 महिलाएं भी हैं। 2013 बैच में 15 विदेशी अधिकारी भी शामिल हैं, इनमें पांच नेपाली, छह भूटानी और चार मालदीव के नागरिक हैं।