कामेडी और रोमांस से भरपूर शिरीन फरहाद...

कामेडी और रोमांस से भरपूर शिरीन फरहाद...

बैनर : इरोज इंटरनेशनल, एसएलबी फिल्म्स
निर्माता : संजय लीला भंसाली, सुनील ए. लुल्ला
निर्देशक : बेला भंसाली सहगल
कथा-पटकथा : संजय लीला भंसाली
संगीत : जीत गांगुली कलाकार : बोमन ईरानी, फराह खान, कविन दवे, शम्मी, डेजी ईरानी


शिरीन फरहाद की तो निकल पडी के जरिए बॉलीवुड के निष्णांत निर्देशक संजय लीला भंसाली ने अपनी जिन्दगी की कहानी को परदे पर उतारा है। जिनकी उम्र चालीस को पार कर चुकी है लेकिन उनकी शादी नहीं हुई है। शिरीन फरहाद की तो निकल पडी के हीरो फरहाद का भी यही गम है। 45 का होने आया है और शादी नहीं हो पाई। ब्रा-पेंटी की दुकान पर सेल्समैन है। कभी शादी की बात चलती भी है तो उसका काम सुन लोग भाग खडे होते हैं। भला ये कैसा काम है।

40 वर्षीय शिरीन उसकी दुकान पर आती है और फरहाद को उससे प्यार हो जाता है। 45 वर्ष का अधेड इश्क लडाए तो उसे बुरा माना जाता है। फरहाद कहता भी है कि प्यार की कोई एक्सपायरी डेट नहीं होती, यह कभी भी हो सकता है। इस अधेड उम्र की प्रेम कहानी में खलनायक नहीं बल्कि खलनायिका है और वो है नायक की मां। शिरीन को वह इसलिए पसंद नहीं करती क्योंकि उसने फरहाद के पिता द्वारा बनाई गई टंकी तुडवा दी। यह टंकी फरहाद के घर पर बनी थी। नफरत करने का यह बेहद बेतुका प्रसंग रचा गया है और इसके इर्दगिर्द पूरी कहानी घूमती है।

फिल्म में गानों की भरमार है लेकिन एक भी गीत ऎसा नहीं है जिसे फिल्म देखने के बाद बाहर आकर गुनगुनाया जा सके। अभिनय की दृष्टि से फिल्म के दोनों अदाकारों ने अपनी अपनी भूमिका को पूरी ईमानदारी के साथ निभाया है। उन्होंने बोमन की मां के रूप में अपना किरदार बखूबी निभाया। कुल मिलाकर छोटे बजट में बनी यह फिल्म अपनी लागत निकालने में कामयाब होगी ऎसी उम्मीद की जा सकती है।