आरबीआई ने की कई घोषणाएं, विदेशी निवेश में छूट

आरबीआई ने की कई घोषणाएं, विदेशी निवेश में छूट

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने सोमवार को अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए कई अहम घोषणाएं की। इन घोषणाओं के तहत इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में विदेशी निवेश के कदमों में ढील दी गयी है। इसके अतिरिक्त बडी परियोजनाओं के लिए कर्ज की सीमा बढा दी गयी है। अब 10 अरब डॉलर तक कर्ज लिये जा सकते हैं। इसके साथ ही सरकार बॉन्ड्स में निवेश सीमा बढा दी गयी है। उम्मीद है कि इन प्रयासों से रूपये की सेहत मजबूत होगी और अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने देश की अर्थव्यवस्था कमजोर स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि इसे पटरी पर लाने के लिए सोमवार को उपायों की घोषणा करने की बात कही थी। वित्त वर्ष 2011-12 में देश की आर्थिक विकास दर नौ वर्षो के न्यूतनम स्तर 6.5 प्रतिशत पर फिसल कर आ गई है। इस वर्ष अप्रैल में औद्योगिक उत्पादन में मामूली 0.1 प्रतिशत की बढोतरी दर्ज की गई है। थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति भी मई 2012 में सरकार और रिजर्व बैंक के दायरे से ऊपर 7.5 प्रतिशत अधिक रही है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को कहा था कि मुद्रास्फीति का दबाव बना हुआ है, रूपया टूट रहा है और अर्थव्यवस्था की गति 6.5 प्रतिशत रह गई है। इसे देखते हुए संदेह नहीं है कि देश की अर्थव्यवस्था में कमजोरी के संकेत हैं। इन कारकों को लेकर वह चिंतित हैं लेकिन हताश नहीं हैं। &प्त2318;से वक्त में जब विश्व अर्थव्यवस्था में उठापटक है, भारत जैसी ब़डी अर्थव्यवस्था इसके प्रभाव से अछूती नहीं रह सकती। जहां तक देश की मूल मजबूती का सवाल है यह अभी भी पहले की तरह मजबूत है। इस वर्ष जनवरी से जून तक विदेशी संस्थानों ने आठ अरब डालर का यहां निवेश किया है जबकि वर्ष 2011 में यह नकारात्मक था। इस वर्ष विदेशी प्रत्यक्ष निवेश 46 से 48 अरब डालर के बीच रहने की उम्मीद है। दो सप्ताह से रूपए में भारी गिरावट आ रही है और अब यह रिकार्ड 57.37 रूपए प्रति डॉलर तक पहुंच चुका है। बाजार विशेषज्ञों ने इसके 58 रूपए प्रति डॉलर तक जाने की आशंका जताई है। आर्थिक विकास में आ रही सुस्ती और रूपए में जारी गिरावट सरकार के लिए गहरी चिंता का विषय बन चुका है। आर्थिक विकास में सुस्ती और रूपये में गिरावट सरकार के लिए गहरी चिंता का विषय है। सरकार इससे निपटने के लिए कुछ उपायों की घोषणा करना चाहती है। इन उपायों को मुखर्जी की सोच माना जा रहा है और इसलिए इनकी घोषणा भी वित्त मंत्री के रूप में मुखर्जी से कराने की तैयारी की गई है।