राष्ट्रपति अब 4 एकड के बंगले में नहीं जाएंगी, विवाद से क्षुब्ध

राष्ट्रपति अब 4 एकड के बंगले में नहीं जाएंगी, विवाद से क्षुब्ध

नई दिल्ली। कई तरह के विवादों से घिरने के बाद राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने अब पुणे में बने नए मकान में नहीं जाने का फैसला किया है। मगर राष्ट्रपति से रिटायर होने के बाद वह कहां रहेंगी, इस बारे में कुछ भी खुलासा नहीं किया गया है। इस बंगले को लेकर जो विवाद पैदा हुए हैं उससे राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल काफी क्षुब्ध हैं।

राष्ट्रपति ने कहा है कि सेवानिवृत्ति के बाद उनके रहने के लिए पुणे में जो मकान बन रहा था उसे वह छो़ड रही हैं। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, कुछ लोगों ने उस जगह को युद्ध विधवाओं के निवास से जोडा है, इसकी वजह से राष्ट्रपति ने पुणे में सेवानिवृत्ति के बाद रहने के लिए मकान के आवंटन को छोडने का फैसला किया है। राष्ट्रपति भवन के इस बयान में पुणे में आवंटित जमीन का जिR तो किया गया है लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि पुणे का आवंटन छोडने के बाद सेवानिवृत्ति के बाद उनकी क्या योजना है।

एक समाचार एजेंसी ने राष्ट्रपति भवन के सूत्रों के हवाले से कहा है कि दूसरी योजनाओं के बारे में वह बाद में कोई फैसला लेंगीं। राषट्रपति के रूप में प्रतिभा पाटिल का कार्यकाल जुलाई में समाप्त हो रहा है और इसके बाद उन्हें राष्ट्रपति भवन छोडना होगा। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी बयान में कहा गया है, उम्मीद है कि पुणे के आवास के संबंध में इसके बाद से सारी गलतफहमियां दूर हो जाएंगीं। सेवानिवृत्ति के बाद प्रतिभा पाटिल की ओर से पुणे में रहने की इच्छा जाहिर करने के बाद खडकी कैंटोनमेंट इलाके में एक जमीन आवंटित की गई थी। इस पर विवाद उस समय शुरू हुआ जब एक सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल सुरेश पाटिल ने प्रतिभा पाटिल के आवास के लिए आवंटित जमीन के विवरण जारी किए, जिसमें बताया गया था कि इसके लिए 2.6 लाख वर्गफुट जमीन आवंटित की जा रही है।

सुरेश पाटिल पुणे स्थित जस्टिस फॉर जवान संस्था के लिए काम करते हैं, जो स्वयंसेवी संगठन ग्रीन थंब का हिस्सा है। जो विवरण जाहिर किए गए थे, उसमें कहा गया था कि राष्ट्रपति के लिए जो 4,500 वर्गफुट में एक मकान का निर्माण किया जा रहा है उसके लिए ब्रिटिश काल की दो इमारतों को गिराया जा रहा है। हालांकि राष्ट्रपति भवन ने कहा है कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है और किसी नियम का उल्लंघन नहीं हुआ है। राष्ट्रपति की सेवानिवृत्ति के बाद निवास को लेकर जो नियम हैं, उनका सख्ती से पालन किया गया है। बयान में कहा गया कि राष्ट्रपति इस आरोप से आहत हुई हैं कि सेवानिवृत्ति के बाद अपने आवास के लिए यह जमीन स्वीकार करके उन्होंने युद्ध विधवाओं और पूर्व सैनिकों के प्रति असंवेदनशीलता का परिचय दिया है। बयान में कहा गया है कि वह पूर्व सैनिकों का पूरा सम्मान करती हैं और पूर्व में भी वह युद्ध विधवाओं की भलाई के लिए काम करती रही हैं।