नाखून कराते हैं स्वस्थ होने का अहसास

नाखून कराते हैं स्वस्थ होने का अहसास

कुछ लोग नाखूनों की देखभाल की ओर ज्यादा ध्यान नहीं देते। जबकि नाखून हमारी खूबसूरती का ही एक हिस्सा तो होते ही है बल्कि ये हमारे स्वस्थ होने का भी अहसास करते हैं। हाल ही में किए गए एक शोध में नाखूनों की मह�वता का पता चला है। शोध से पता लगा है कि शिशु के नाखूनों का बनना मां के गर्भ में ही शुरू हो जाता है, वहीं यह भी पता चला है कि मरने के बाद नाखूनों के आसपास के नर्म हिस्से संकुचित होने लगते हैं। इसलिए नाखूनों के बढने का भ्रम पैदा होता है। शोध में कहा गया है कि बाल और नाखून स्किन का ही हिस्सा हैं। आप को पता है कि देखने वाले एक औरत की खूबसूती को सिर के बाल से लेकर पैर के नाखून तक देखते है। कुछ लोग तो यह तक कहते है कि अगर गर्लफ्रेंड का मूड परखना हो तो उसके नेल्स देख लें। नाखूनों का निर्माण नेल मैट्रिक्स से होता है। हमारी बॉडी में नाखूनों के पीछे वाले हिस्से में स्किन के नीचे होता है। नाखून बनने पर यह स्किन के नीचे से ऊपर की ओर निकल कर बढता है।
नाखून उंगली के जिस छोर पर जाकर खत्म होता है वह हिस्सा सी मार्जिन ऑफ नेल कहलाता है। शरीर के इस हिस्से को हम खुजलाने का काम लेते है। यह नेल प्लेट जिस जगह पर उंगली की त्वचा से जुडी होती है वहीं स्किन का बहुत ही महीन आवरण होता है यह अंश क्यूटिकल्स कहलाता है। नाखूनों से पता चलती है बीमारी नाखूनों में किसी भी प्रकार का कोई परिवर्तन आए तो स्वास्थ्य के प्रति सचेत हो जाना चाहिए। हो सकता है कि आप को किसी नाखून का ऊपरी सिरा फटा दिखाई पडे या नाखून में पीलापन नजर आए या कभी नाखून चम्मच जैसा दिखे, नाखून धंसा नजर आने लगे।
ऎसा होने पर आपको तुंरत डॉक्टर के पास जाना चाहिए और नियमित सलाह लेना जरूरी है। यह कोई जरूरी नहीं कि नाखूनों की बीमारी हो, बल्कि ये तमाम लक्षण शरीर में बीमारी होने की संभावना को दर्शाते हैं। यह देखा गया है कि नाखूनों पर पीलिया, एनीमिया का पता चलता है और भी बडी बीमारी जैसे- फेफडों का कैंसर, दिल की बीमारी व थायराइड की गडबडी का भी पता चलता है।
जो लोग बहुत अधिक समय तक पानी में काम करते हैं उन्हें नाखूनों की बीमारी हो जाती है उस बीमारी का नाम है उंगुलहरा। ये एक प्रकार का फंगस होता है फंगस के जनक बैक्टीरिया होते है। जो लोग पानी में ज्यादा समय तक काम करते हैं उनके नाखूनों की स्किन में सूजन हो जाती है और लाल रंग के हो जाते हैं ऎसी स्थिति में स्किन नाखूनों से अलग हो जाती है, इसमें दर्द भी बहुत होता है। लगातार पानी लगने से स्किन में मवाद तक पड जाता है। पानी में काम करने वाले लोगों के हाथों की यह कोई बडी बीमारी नहीं है। यह तो आम बीमारी होती है जो लोगों को होती रहती है।
इस बीमारी का इलाज हो सकता है इसका उपचार है ऎटीफंगल। इससे ठीक-ठाक होने में कम से कम 7 दिन का समय तो लगता है। अगर पानी में काम करना जरूरी है तो आप दस्ताने पहन कर काम कर सकते हैं। नाखूनों से सेहत का पता लगाया जा सकता है, लेकिन कुछ लोगों को नाखूनों को लेकर यह गलत धारण है कि कैल्सियम की कमी ही नाखूनों से जुडी तमाम समस्याओं का कारण है और वो कैल्सियम की गोलियां को सेवन शुरू कर देते हैं जो कि गलत होता है।
क्या आपको पता है नाखूनों में कैल्सियम बहुत ही कम मात्रा में होता है और वे केवल ऊपरी हिस्सों में ही होता है। सही बात तो यह कि नाखूनों में कैरोटीन प्रोटीन की बडी मात्रा है जो नाखूनों की आकृति, बढने और बनावट में भूमिका निभाता है। शरीर में प्रोटीन की कमी होती तब नाखून पतले हो जाते हैं और लंबाई में फटने लगते हैं।
नाखूनों में रक्तसंचार ठीक प्रकार से न होने पर नाखून अच्छे नहीं निकलते। कुछ लोगों के नाखून जन्म से ही नर्म और कोमल होते हैं। ऎसा शरीर में प्रोटीन की कमी के कारण होता है। सर्दी के मौसम में तो नाखून ज्यादा नहीं बढते लेकिन गरमी के मौसम में नाखून ज्यादा अधिक बढते हैं। ध्यान दीजिए आपको पता चलेगा कि दाहिने हाथ के नाखून बाएं हाथ के नाखूनों की तुलना में तेजी से बढते हैं और एक बात है यह कि महिलाओं की अपेक्षा पुरूषों के नाखून अधिक बढते हैं।
पैरों के नाखूनों में दर्द कुछ लोग बहुत टाइट जूते पहनते हैं या फिर आगे से निकाले जूते पहन लेते हैं उनके पैरों की उंगलियों के नाखूनों में दर्द होने लगता है। ऎसा तब होता है जब पैरों के नाखूनों के कोनों में उंगलियों का मांस फंस जाता है। आप इनका 2 तरीकों से इलाज कर सकते है। नुकीले जूते नहीं पहने।
1-नाखूनों को ठीक प्रकार से काटा जाए तो यह समस्या नहीं होगी।
2-नाखूनो को कटते समय उनके कोनों को ध्यानपूर्वक काटना चाहिए और नाखूनों को काटकर नेल फाइल से कोनों को गोलाई दे दी जाएं।
3-रात को अपने नाखूनों को गुनगुने ऑलिव ऑयल में भिगोकर हल्की मसाज करें इससे नाखून स्वस्थ बनेंगे।
4-नियमित रूप से अपने नाखूनों पर नेल ऑयल या क्यूटिकल ऑयल से मसाज करें।
5- पेट्रोलियम जेली या कोको बटर का भी प्रयोग कर सकती हैं।