जानिए, एनएसजी में कैसे जिन्दा है भारत की उम्मीदें

जानिए, एनएसजी में कैसे जिन्दा है भारत की उम्मीदें

नई दिल्ली। 48 देशों के न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप यानी एनएसजी की सियोल में बैठक भारत की नजर से भले ही बेनतीजा खत्म हो गई है। परन्तु भारत की उम्मीदें अभी समाप्त नहीं हुई हैं। मिली जानकारी के अनुसार चीन के विरोध के बावजूद इस वर्ष के आखिर में सियोल में एनएसजी का विशेष सत्र होगा।

इस सत्र में भारत समेत तमाम उन देशों की एंट्री की दावेदारी पर चर्चा होगी जिन्होंने परमाणु अप्रसार संधि यानि एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार साल के आखिर तक अमेरिका भारत की दावेदारी पर जोर देगा। सूत्रों का कहना है कि दूसरी सभा की राय मेक्सिको की ओर से आई है परन्तु चीन ने इसका विरोध किया है। भारत की दावेदारी पर सदस्य देशों के बीच अनौपचारिक चर्चा के लिए अर्जेंटीना के राजनयिक राफेल ग्रौसी को चुना गया है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा है, हमें विश्वास है कि साल के अंत तक हमारे पास आगे जाने के लिए रास्ता है। अपना नाम न बताए जाने की शर्त पर उन्होंने कहा कि कुछ काम रह गया है। लेकिन हमें भरोसा है कि साल के अंत तक भारत एनएसजी की सदस्यता हासिल कर लेगा। गौरतलब है कि पिछले हफ्ते भारत की एनएसजी सदस्यता की दावेदारी को बडा झटका लगा।

चीन अब भी भारत के सबसे बड़े विरोधी के तौर पर अडिग है। इसके साथ ही अब स्विट्जरलैंड ने भी इस पर आपत्ति जताई है। जहां पीएम मोदी के पांच देशों के दौरे के दौरान स्विट्जरलैंड ने भारत की दावेदारी का समर्थन किया था वहीं ऑस्ट्रिया, तुर्की, न्यूजीलैंड, ब्राजील और आयरलैंड पहले से ही भारत का विरोध कर रहे हैं।