सरकारी रवैये से निराश वोडाफोन को देने होंगे 20 हजार करोड डॉलर

सरकारी रवैये से निराश वोडाफोन को देने होंगे 20 हजार करोड डॉलर

नई दिल्ली। लोकसभा में वित्त विधेयक पास होने के बाद ब्रिटिश टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन की मुश्किल बढने वाली है। सरकार की चली तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले से 11,000 करोड का टैक्स बचाने वाली इस कंपनी को करीब-करीब दोगुनी रकम चुकानी पडेगी।

विधेयक पास होने के अगले ही दिन सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि वह वोडाफोन से टैक्स और जुर्माने की वसूली के कदम बढाएगी। यह राशि फिलहाल 20,300 करोड रूपये आंकी जा रही है। वोडाफोन पुरानी तारीख से टैक्स वसूली के लिए आयकर कानून में हुए बदलाव से निराश है। कम्पनी का कहना है कि टैक्स मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कम्पनी के पक्ष में फैसला दिया है। इसके बाद भी सरकार का कम्पनी पर टैक्स बोझ डालना समझ से परे है। कम्पनी ने यह भी कहा है कि उसके साथ अन्याय हो रहा है क्योंकि हच को हुए मुनाफे पर उससे टैक्स वसूला जा रहा है। वित्त सचिव आरएस गुजराल ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि वित्त विधेयक 2012 के कारण पहले भेजे सभी नोटिस वैध हो जाएंगे। इसलिए वोडाफोन के टैक्स मामले में किसी नए नोटिस की जरूरत नहीं होगी। ब्रिटिश कंपनी ने सरकार के इस फैसले को पूरी तरह अनुचित करार देते हुए कहा है कि वह अपने हितों की रक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाएगी। कंपनी ने सरकार को अंतरराष्ट्रीय पंचाट में घसीटने की धमकी पहले से दे रखी है।

गुजराल ने बताया कि विधेयक में एक उपबंध यह है कि इस बारे में पारित सभी आदेश और आकलन वैध होंगे। टैक्स एसेसमेंट ऑर्डर के साथ जुर्माने से जु़डे आदेश को भी संसद ने वैधता दे दी है। बकाया वसूली के लिए कदम उठाना सरकार का काम है। वोडाफोन ने बयान जारी कर इस पर निराशा जताई है। भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक चिंताओं के बावजूद सरकार ने टैक्स कानूनों में पिछली तारीख से संशोधन कर पैदा होने वाली अनिश्चितता पर ध्यान नहीं दिया। कंपनी का कहना है कि अगर किसी और द्वारा कमाए गए लाभ के लिए कंपनी पर टैक्स लगाया जाता है तो यह पूरी तरह अनुचित होगा। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने मंगलवार को वित्त विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा था कि वोडाफोन पर टैक्स लगाना कालेधन का मुकाबला करने जैसा है।