सरकार चाहती है अनुसूचित जातियों को प्राइवेट सेक्टर में मिले आरक्षण

सरकार चाहती है अनुसूचित जातियों को प्राइवेट सेक्टर में मिले आरक्षण

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने शनिवार को माना कि निजी क्षेत्र की नौकरियों में अनुसूचित जातियों (एससी) के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं होने से गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं। लोकसभा में संविधान (अनुसूचित जातियां:आदेश: संशोधन) विधेयक-2012पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्री कुमारी सैलजा ने सदस्यों की इस चिंता से सहमति जतायी कि निजी क्षेत्र में नौकरियों में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं होने से गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इस विधेयक को सामाजिक न्याय मंत्री कुमारी सैलजा ने पांच अगस्त को पेश किया था।

सैलजा ने बताया कि निजी क्षेत्र को इस संबंध में कई बार चिçटयां लिखी गयी हैं और सरकार चाहती है कि निजी क्षेत्र किसी न किसी तरह से खुद इस बात को महसूस करें कि यह कितना गंभीर मुद्दा है। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया तो इसके काफी दुष्परिणाम हो सकते हैं। सैलजा के जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। उन्होंने अनुसूचित जातियों को सूची में शामिल किए जाने और कुछ जातियों को निकाले जाने की प्रक्रिया को समयबद्ध तरीके से पूरा किए जाने की भाजपा के निशिकांत दुबे की मांग के संबंध में कहा कि यह एक पेचीदा मुद्दा है जिसे निपटाने के लिए कोई समय सीमा नहीं दी जा सकती।

हालांकि मंत्री के आश्वासन के बाद दुबे ने इस संबंध में पेश किए अपने संशोधन को वापस ले लिया। इससे पहले चर्चा की शुरूआत करते हुए भाजपा के वीरेन्द्र कश्यप ने कहा कि कौन अनुसूचित जाति का है और कौन नहीं, इस मुद्दे के समाधान के लिए एक नीति बने व न्यायपालिका में भी इस जाति के लोगों के लिए आरक्षण मिले। कांग्रेस के पीएल पूनिया ने कहा कि निजी क्षेत्र में अनुसूचित जातियों को इस क्षेत्र में आरक्षण मिलना चाहिए। सपा के शैलेन्द्र कुमार ने कहा कि एससी या एसटी को सुविधाएं नहीं मिलने के कारण ही वे लोग एससी से एसटी या एसटी से एससी में जाने की मांग करते हैं। बसपा के बलिराम ने निजी क्षेत्र में आरक्षण के लिए संविधान में संशोधन की जरूरत बतायी।