गडकरी पर भारी : नरेन्द्र मोदी, वसुन्धरा राजे व येदियुरप्पा

गडकरी पर भारी : नरेन्द्र मोदी, वसुन्धरा राजे व येदियुरप्पा

नई दिल्ली। नितिन गडकरी भले ही पार्टी के बॉस हों और वे भाजपा अध्यक्ष के पद पर बने रहें लेकिन पार्टी के क्षेत्रीय क्षत्रप उन पर भारी रहे हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा व राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने समय-समय पर साबित किया है कि वे अपनी मर्जी के मालिक हैं और गडकरी की उनके आगे नहीं चलती।

पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से ठीक पहले संजय जोशी का राष्ट्रीय कार्यकारिणी से इस्तीफा दिलाने में कामयाब हुए मोदी ने साबित कर दिया कि गडकरी भले ही अध्यक्ष हों लेकिन बॉस वे ही हैं। मोदी की नाराजगी संजय को लेकर थी। इसी नाराजगी के चलते उन्होंने उत्तरप्रदेश के विधानसभा चुनाव में प्रचार भी नहीं किया था। अध्यक्ष न होने के बावजूद उन्होंने पार्टी के सभी दिग्गज नेताओं को पीछे छोड दिया है। इस मामले से यह भी संकेत गया है कि मोदी जो चाहते हैं वही करते हैं। मोदी अपनी नाराजगी के चलते राष्ट्रीय कार्यकारिणी की पिछली बैठक में भी नहीं गए थे। पार्टी ने उन्हें मनाने का जिम्मा अरूण जेटली को सौंपा था। लेकिन अपनी मांगें माने जाने के बाद ही वे बैठक में आने को तैयार हुए।

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा भी गडकरी को अनसुना करते रहे हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे येदियुरप्पा आलाकमान पर उन्हें फिर से मुख्यमंत्री बनाए जाने का दबाव डाले हुए हैं। वे अपने साथ 70 विधायकों के समर्थन का दावा करते हैं। येदियुरप्पा गडकरी को बार-बार आंख दिखाते रहे हैं। गडकरी अभी तक बेबस ही नजर आए हैं।

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी अपनी मर्जी की मालिक हैं। पार्टी ने यह संकेत दे दिया है कि पार्टी उनके साथ है और राजस्थान में अगला चुनाव उनके नेतृत्व में ही लडा जाएगा। वसुंधरा यही चाहती थीं। वे राजस्थान में पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाब चंद कटारिया की उनकी प्रस्तावित यात्रा को लेकर नाराज थीं। उनके दबाव के चलते ही कटारिया को अपनी लोक जनजागरण यात्रा रद्द करनी पडी। वसुंधरा के समर्थन में करीब 60 विधायकों ने अपने इस्तीफे उन्हें सौंप दिए थे। वसुंधरा ने भी इस्तीफे की धमकी दे डाली थी। कुल मिलाकर गडकरी को वसुंधरा के आगे झुकना ही पडा।