जल जीवन मिशन घोटाले में ED की कार्रवाई: जयपुर में पूर्व मंत्री महेश जोशी और दो ठेकेदारों के घर छापेमारी

जल जीवन मिशन घोटाले में ED की कार्रवाई: जयपुर में पूर्व मंत्री महेश जोशी और दो ठेकेदारों के घर छापेमारी

जयपुर। प्रवर्तन निदेशालय(ED) केंद्र के जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन में मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत राजस्थान भर में छ: से अधिक स्थानों पर तलाशी ले रहा है।


राजस्थान में जल जीवन मिशन में हुए करोड़ों के घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय ED एक्शन मोड़ में है। जल जीवन मिशन घोटाले में ED ने कांग्रेस के पूर्व मंत्री महेश जोशी और दो ठेकेदारों के घर छापेमारी कर रही है। सुबह 6 बजे पांच लोगों के ठिकानों पर छापे की कार्रवाई शुरू की। ईडी की टीम पूर्व मंत्री महेश जोशी के घर पर जांच कर रही हैं। महेश जोशी और उनके परिवार के दो सदस्यों से कुछ फाइलों को लेकर पूछताछ की जा रही है।

स्मरण रहे कि राज्यसभा सांसद और भाजपा नेता डॉ. किरोड़ीलाल ने पिछले दिनों ईडी को कुछ दस्तावेज सौंपते हुए करीब 20 हजार करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगाया था। इसके बाद विभाग ने शाहपुरा - कोटपूतली की कुछ ठेकेदार फर्मों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें ब्लैकलिस्ट भी किया था। एफआईआर दर्ज कराने को लेकर मीणा ने अशोक नगर थाने के बाहर धरना भी दिया था।इस मामले उनके साथ पब्लिक अगेंस्ट करप्शन संस्था से जुड़े डॉ. टी. एन. शर्मा की ओर से एफआईआर का मजमून लिखा गया है। इसमें दावा किया गया है कि वित्त विभाग की आपत्तियों के बावजूद जल जीवन मिशन की गाइड लाइन और आरटीपीपी एक्ट के प्रावधानों को दरकिनार करते हुए सरकार ने टेंडर कर दिए।


एफआईआर के मजमून के मुताबिक जलदाय विभाग ने 6 अक्टूबर, 2021 से 24 नवंबर, 2022 के बीच 11 विभिन्न कामों के लिए 48 निविदाएं मांगी थी। इनका कुल मूल्य करीब 20,000 करोड़ रुपए था। इन सभी निविदाओं में प्री साइट विजिट का प्रावधान रखा गया था। इससे निविदा देने वाली फर्मों को पूलिंग करने का मौका मिल गया। वित्त विभाग ने भी 16 दिसंबर, 2022 को एक परिपत्र जारी करके योग्यता की शर्त के रूप में प्री बिड मीटिंग के दौरान साइट विजिट सर्टिफिकेट शामिल करने को गंभीर माना। क्योंकि इसमें पूलिंग की आशंकाएं रहती हैं। वैसे भी यह आरटीपीपी एक्ट के प्रावधानों के खिलाफ था।

आपको बता दें कि हाल ही में एसीबी ने कुछ अधिकारियों और ठेकेदारों को पकड़ा था। इधऱ, सांसद किरोड़ी लाल मीणा की शिकायत के बाद ईडी ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर टेंडर हांसिल करने वाली मैसर्स गणपति ट्यूबवेल कंपनी और मैसर्स श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी के मालिक पदम जैन के ठिकानों पर कार्रवाई कर कई फाइलें जब्त की थीं।
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