गणेशजी को दूर्वा और मोदक चढाने का महत्व क्यों!
इस स्तुति में भी उनकी मोदकप्रियता प्रदर्शित होती है। महाराष्ट्र के भक्त आमतौर पर गणेशजी को मोदक चढाते हैं। उल्लेखनीय है कि मोदक मैदे के खोल में रवा, चीनी, मावे का मिश्रण कर बनाए जाते हैं। जबकि लड्डू मावे व मोतीचूर के बनाए हुए भी उन्हें पसंद है। जो क्त पूर्ण श्रद्धाभाव से गणेशजी को मोदक या लड्डुओं का भोग लगाते हैं, उन पर वे शीघ्र प्रसन्न होकर इच्छापूर्ति करते हैं। मोद यानी आनंद और क का शाब्दिक अर्थ छोटा सा भाग मानकर ही मोदक शब्द बना है, जिसका तात्पर्य हाथ में रखने मात्र से आनंद की अनुभूति होना है। ऎसे प्रसाद को जब गणेशजी को चढाया जाए, तो सुख की अनुभूति होना स्वाभाविक है। एक दूसरी व्याख्या के अनुसार जैसे ज्ञान का प्रतीक मोदक मीठा होता है, वैसे ही ज्ञान का प्रसाद भी मीठा होता है।