गणेशजी को दूर्वा और मोदक चढाने का महत्व क्यों!
अनलासुर से त्रस्त होकर समस्त देवता भगवान शिव के पास गए। उन्होंने बताया कि उसे सिर्फ गणेश ही खत्म कर सकते हैं, क्योंकि उनका पेट बडा है, इसलिए वे उसको पूरा निगल लेंगे। इस पर देवताओं ने गणेश की स्तुति कर उन्हें प्रसन्न किया। गणेशजी ने अनलासुर का पीछा किया और उसे निगल गए। इससे उनके पेट में काफी जलन होने लगी। अनेक उपाय किए गए , लेकिन ज्वाला शांत न हुई। जब कश्यपऋष् को यह बात मालूम हुई, तो वे तुरंत कैलास गए और 21 दूर्वा एकत्रित कर एक गांठ तैयार कर गणेश को खिलाया, जिससे उनके पेट की ज्वाला तुरंत शांत हो गई।
गणेशजी को मोदक यानी लड्डू काफी प्रिय हैं। इनके बिना गणेशजी की पूजा अधूरी ही मानी जाती है। गोस्वामी तुलसीदास ने विनय पत्रिका में कहा है-
गाइए गनपति जगबंदन।
संकर सुवन भवानी नंदन।।
सिद्धि सदन गज बदन विनायक।
कृपा सिंधु सुंदर सब लायक।।
मोदकप्रिय मुद मंगलदाता।
विद्यावारिधि बुद्धि विधाता।।