क्यों मनाई जाती है होली, क्या है इसके पिछे की कहानी

क्यों मनाई जाती है होली, क्या है इसके पिछे की कहानी

भारतवर्ष त्योहारों का देश है। हर एक त्योहार का अपना अनोखा महत्व होता है। इन सारे त्योहारो मे से ही एक त्योहार है होली। जी हां, होली त्योहार है खुशियो का। बुराई पर अच्छाई की विजय का। पुराने गिले-शिकवे भुला कर एक दूसरे के रंग में रंग जाने का।
होली में जितना महत्व रंगों का है उतना ही महत्व होलिका दहन का भी है। क्योंकि ये वही दिन होता है जब आप अपनी कोई भी कामना पूरी कर सकते हैं किसी भी बुराई को अग्नि में जलाकर खाक कर सकते हैं। होलिका दहन या होली भारत के उत्तरी भागों में मनाये जाने वाला त्यौहार है। होलिका दहन को हम होली के नाम से भी जानते हैं। जिस दिन होली जलाई जाती है, उसे हम छोटी होली भी कहते हैं। होलिका दहन से जुड़ी और कई सारी कहानियां हैं आइये जानें।

होलिकादहन की कथा हम सभी होली की पूर्व संध्या, यानी फाल्गुन शुक्ल चतुर्दशी को होलिकादहन मनाते हैं। इसके साथ एक कथा जुड़ी हुई है। कहते हैं कि वर्षो पूर्व पृथ्वी पर एक अत्याचारी राजा हिरण्यकश्यपु राज करता था। उसने अपनी प्रजा को यह आदेश दिया कि कोई भी व्यक्ति ईश्वर की वंदना न करे, बल्कि उसे ही अपना आराध्य माने। लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद ईश्वर का परम भक्त था। उसने अपने पिता की आज्ञा की अवहेलना कर अपनी ईश-भक्ति जारी रखी। इसलिए हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को दंड देने की ठान ली। उसने अपनी बहन होलिका की गोद में प्रह्लाद को बिठा दिया और उन दोनों को अग्नि के हवाले कर दिया। दरअसल, होलिका को ईश्वर से यह वरदान मिला था कि उसे अग्नि कभी नहीं जला पाएगी। लेकिन दुराचारी का साथ देने के कारण होलिका भस्म हो गई और सदाचारी प्रह्लाद बच निकले। उसी समय से हम समाज की बुराइयों को जलाने के लिए होलिकादहन मनाते आ रहे हैं।


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