क्यों बदल गए रोमांटिक लाइफ के मायने!
परिवार और समाज अब मायने नहीं रखता, बस, पति-पत्नी ही साथ रहें, लेकिन वहां भी शर्त यह है कि अपने हिसाबा से जीने की आजादी हो। दोनों की सोच प्रैक्टिकल जरूर हुई है, लेकिन पै्रक्टिकल होने के चक्कर में भावनाएं कहीं पीछे छूट रही हैं।