मजाक जब हो हद से ज्यादा
मर्यादा समझाएं मजाक को एक सीमा तक ही बर्दाश किया जा सकता है। उसके बाद वह बदतमीजी बन जाता है और इतनी बढे कि रिश्ते टूटने की नौबद आने लगे तो जरूरी है कि सामने वाले को पहले ही उसकी सीमा याद दिला दें। कहने का मतलब है कि परिवार में हल्का-फुल्का मजाक तो किसी हद तक चल सकता है, लेकिन गाहे बगाहे रोजमर्रा की लाइफ में ईष्र्यावश एक दूसरे के साथ छींटाकशी, बाणों की छडी, तानेमारने की आदत हास-परिहास मजाक उडना यह मजाक नहीं बदतमीजी है।